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नजफगढ़ हाईवे-रोड के नाम पर सिर्फ चार दिन मे अमर विहार कॉलोनी को खाली करने का मिला नोटिस


अनीता गुलेरिया
दिल्ली :-  बाहरी दिल्ली नजफगढ़ की अमर-विहार कॉलोनी पर चार दिन पहले ही गिरी सरकार की गाज । 24 जून को अचानक एसडीएम ऑफिस से लोगों को 29 जून को 10:30 बजे से पहले कालोनी को खाली कर देने का नोटिस चिपका दिया गया । नोटिस से बौखलाए, गुस्साए लोगों ने नजफगढ़ एसडीम ऑफिस जाकर इतनी जल्दी,बिना मुआवजा हम कहां जाएं, गुहार लगाई । लेकिन एसडीएम ने काफी संख्या में पहुचे लोगों से बात करने से इंकार कर दिया । 

स्थानीय निवासियों ने मीडिया-समक्ष बताते हुए कहा, हम इस चार दिन में कॉलोनी-खाली करने के इस नोटिस को बिल्कुल भी जायज नहीं मानते है । हम जहां बीस साल से भी ज्यादा समय से रहते आ रहे हैं । आज अपने घरों को इतनी जल्दी खाली करके छोटे बच्चों सहित गर्मी में कहां जाएं ।

 निवासियो अनुसार पहले नजफगढ़ रोड से सीधा हाईवे-रोड निकल रहा था । कुछ साल पहले प्रशासन के आला-अधिकारियों द्वारा साइन किया मंजूरी चार्ट भी दिखाया । लेकिन अब यह किसी बीजेपी-नेता की फैक्ट्री व गोदाम को बचाने के लिए सरकार द्वारा हाईवे का रुख कालोनियों की तरफ मोड़ दिया गया । मौके पर मौजूद वहां की निगम-पार्षद नीलम कृष्ण पहलवान ने मीडिया से बात करते हुए कहा, इतने सालों से हजारों की संख्या में रहते यह लोग इतनी जल्दी कहां जाएं, विकास जरूरी है, लेकिन इस तरह गरीबो के आशियाने बिना मुआवजा दिए ही उजाड़ देना कोई इन्सानियत की बात नहीं है । 
फैक्ट्री गोदाम

सरकार को पहले इन गरीबों के रहने का कोई बंदोबस्त व मुआवजा देना चाहिए,ताकि वह अपने उजड़े हुए घरों को दोबारा से आबाद कर सकें । पच्चीस-साल के करीब इस कॉलोनी मे रहते इन लोगों ने कहा हाईवे-रोड यहां से निकले, हमें कोई एतराज नहीं,पर हमारा हक तो,हमें दो और चार दिन में घर खाली करने का नोटिस सरासर इस सरकार की तानाशाही,गुंडागर्दी नहीं तो और क्या है ? पहले यहां से हाईवे रोड मंजूर हो रखा था,उस जमीन पर जबरन कब्जा करके बैठे बडे-नेता लोगों को हटाने की बजाय अब एकदम से हाईवे-रोड का रुख काॅलोनियों की तरफ घूमा दिया गया आखिर क्यों ? महज दो चार लोगों के लिए हजारों की संख्या में लोगों के घरों को उजाडना कहां तक उचित है ? आक्रोषित लोगों ने मीडिया के सामने कहा,उनके इलाके के बीजेपी-सांसद प्रवेश वर्मा द्वारा आश्वासन देना तो दूर,कालोनी निवासियो को अपनी शक्ल तक दिखाना भी मुनासिब नहीं समझा,

इन राजनीतिक-नेताओं की नजर मे हम लोगों की जिंदगी सिर्फ इनको वोट देने तक ही सीमित है क्या ? इसके अलावा हम जनता इनके लिए कीडे-मकौडे से ज्यादा कुछ नहीं,जब दिल मे आया मसल दिया । नोटिस से एक दिन पहले ही कॉलोनी-वासियों की जबरन लाइट-काट दी गई है ।समय से पहले कॉलोनी-खाली करवाने पहुंची दिल्ली-पुलिस से लोगों की काफी देर झडप भी हुई । गुस्साई-भीड़ ने कहा हम बिना पैसे के इतनी जल्दी चार-दिन में तेज-धूप में अपने बच्चों सहित-रोड पर जा कर बैठे क्या ? गुस्साए लोगों ने कल आखिरी-दिन सरकार के विरोध में अनशन-धरने पर बैठने का निर्णय लिया है । 

आक्रोष से भरे लोगों अनुसार गरीबों के आशियाने-उजाड़ना, क्या , यह इस सरकार की कटुनीति का हिस्सा,व देश का विकास कार्य है ? आखिर में उन्होंने केन्द्र-सरकार के आगे इंसाफ की गुहार लगाई है । अब देखना यह है, गरीब लोगों को प्रताड़ित कर यह सरकार  अपने विकास-कार्यों की इन नीतियों पर कितना खरा उतरती है ।
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