मनोज मनोहर
सांथा, सन्तकबीरनगर। जनपद इंसेफेलाइटिस व दिमागी बुखार प्रभावित श्रेणी में आता है जिसके लिए सरकार द्वारा जनपद में इस बीमारी से लड़ने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौच मुक्त गांव घोषित कराने के उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की,लेकिन अस्थानी जिम्मेदारों द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत कागजों में जनपद को शौच मुक्त तो घोषित कर दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को सरकार के जिम्मेदार कर्मचारियों द्वारा ही सारे मानक नियम को ताक पर रखते हुए रेवडियो की तरह सभी ग्राम पंचायतों में शौचालय का निर्माण तो लगभग लगभग पूरा करा दिया गया लेकिन योजना में जो मानक रखे गए उनका कहीं भी ख्याल नहीं रखा गया।जिसकी वजह से यह योजना सबसे फ्लॉप होती नजर आ रही है। योजना बनाने वालों ने इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए कुछ नियम कानून भी बनाए थे जिसमें प्रमुख रूप से शौचालय लाभार्थी को पूरी तरह विश्वास में लेकर शौचालय उपयोग के लिए तैयार किया जाए। शौचालय का निर्माण वहां किया जाए जहां से पेय जल के स्रोतों से कम से कम 15 से 20 फुट की दूरी पर हो तथा ग्राम पंचायत में स्वेच्छा ग्राहियो द्वारा लोगों को साफ सफाई के प्रति जागरुक करते हुए शौचालय का उपयोग करने का प्रचार-प्रसार भी किया जाए लेकिन ओडीएफ घोषित होते ही सारी कागजी कार्रवाई ठंडे बस्ते में हो चली। जिला निगरानी समिति की बैठक में नव निर्वाचित सांसद भी मान चुके है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्मित शौचालयों में भारी अनियमित्ता बर्ती गयी है।अधिकतर ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि योजना में यह भी प्रावधान था कि स्वेच्छा ग्राही लोगों को प्रेरित करेंगे लेकिन आलम यह है कि एक भी स्वेच्छाग्राही नजर आ रहे हैं और ना ही शौचालय निर्माण का मानक ही पूरा किया गया। सांथा ब्लाक क्षेत्र के परसा शुक्ला ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत द्वारा निर्मित शौचालय वह जल निगम द्वारा बोर किए गए नल की दूरी मात्र डेढ़ मीटर भी नहीं तथा ग्राम पंचायत अधिकारी ऑडिट करने वाली टीम द्वारा किस प्रकार से योजना का ऑडिट किया गया यह एक विचारणीय प्रश्न है।
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