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23 साल में आया डॉ. रामप्रसन्न सिंह हत्याकांड का फैसला




अमरजीत सिंह 
अयोध्या।जिले के बहुचर्चित डॉ. रामप्रसन्न सिंह हत्याकांड का फैसला 23 साल बाद आया है। सप्तम् अपर सत्र न्यायाधीश सुरेशचंद शर्मा ने बुधवार को पूर्व जिला पंचायत सदस्य एकादशी सिंह के साथ सगे भाइयों हरिश्चंद्र सिंह व घनश्याम सिंह को दोषसिद्ध पाते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। गुरुवार को उन्हें खुली अदालत में सजा सुनाई जाएगी। इसके लिए तीनों को जेल से तलब किया गया है।इस घटना में अन्य अभियुक्त अजय कुमार सिंह की दौरान मुकदमा मौत हो गई। पांचवें अभियुक्त के घटना के दौरान नाबालिग होने के कारण मामला किशोर न्याय बोर्ड को भेज दिया गया। हत्या की वारदात 13 दिसंबर 1996 को महराजगंज थाना क्षेत्र के सरायरासी गांव के निकट हुई थी। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रमेश तिवारी के मुताबिक हत्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को लेकर की गई थी। अभियुक्त एकादशी सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रहे थे। उनके प्रतिद्वंदी गुट के शमशेर बहादुर सिंह अपने भाई डॉ. रामप्रसन्न सिंह, अरविद कुमार सिंह व रणधीर सिंह जीप से क्षेत्र में जा रहे थे। सरायरासी से दशरथसमाधि मोड़ पर अभियुक्तों ने बंदूकों व राइफल की नोक पर जीप रोक ली। जीप में बैठे लोग अनहोनी को भांपकर छोड़ कर जाने लगे। उसी दौरान डॉ. रामप्रसन्न सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया गया।जो मुंबई में प्राध्यापक डॉ. रामप्रसन्न सिंह अयोध्या 1996 के दशक में सरायरासी से कई माफिया पनपे और गिरोह बनाया। गैंगवार की वारदातें हुईं। डॉ. रामप्रसन्न सिंह इससे अलग मुंबई में बस गए। वह मुंबई के एक डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थे। 1996 में उनके भाई शिवबचन सिंह जिला पंचायत चुनाव में प्रत्याशी थे। उन्हीं की मदद में वह मुंबई से गांव आए थे। इस चुनाव में रामप्रसाद सिंह व राधेश्याम यादव भी प्रत्याशी थे। जीत राधेश्याम यादव की हुई थी, जो इस समय कुढ़ाकेवशपुर के प्रधान हैं।

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