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भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित लेखपाल को बचाने उतरा लेखपाल संघ


■ एसडीएम के खिलाफ नारेबाजी के साथ ही पत्रकारों से किया बदसलूकी

आलोक बर्नवाल
संतकबीरनगर। प्रदेश की योगी सरकार जहां भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य करने का प्रयास कर रही है। वही पर राज्य कर्मचारी अपने संघटन के बाबत भ्रष्ट कर्मचारी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे शासन प्रशासन की भी छवि को धूमिल किया जा रहा है। जहां आज भारतीय भ्रष्टाचार से मुक्त होने का प्रयास कर रहा है। वही लेखपाल संघ द्वारा एक फर्जी वरासत के मामले में निलंबित लेखपाल के पक्ष में खुलकर बचाव कर रही है।
बताते चले कि आज तहसील समाधान दिवस के मौके पर अन्य सभी विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा फरियादियों की समस्याओं को सुना जा रहा था। इसी बीच लेखपाल संघ के बैनर तले लेखपाल धरना प्रदर्शन कर रहे है। एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के द्वारा जहां प्रशासन को निलंबित लेखपाल के पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा था। अभी तहसील दिवस 12.30 पर चल ही रहा था कि तभी लेखपाल नारेबाजी करते हुए उपजिलाधिकारी के कक्ष के पास पहुँचे। उपजिलाधिकारी द्वारा मामले को संज्ञान लेकर कक्ष में पहुँचे और लेखपाल संघ से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन उग्र लेखपाल किसी भी बात को सुनने को तैयार नही थे। इसी बीच कुछ पत्रकारों द्वारा घटना की वीडियो बनाने से रोका गया। मीडिया से भी लेखपाल संघ के पदाधिकारियों ने अभद्रता व बदसलूकी किया।

लेखपाल संघ के आचरण से तहसील की मर्यादा हुई तार तार

तहसील दिवस को पूरी तरह से न चलने देने के साथ ही परिसर में अराजक बर्ताव ने लेखपालों के द्वारा एक निलंबित लेखपाल का बचाव किया गया। जो पूरी तरह से गलत प्रवित्ति को दर्शाता है। इस तरह से लेखपाल के द्वारा किये गए किसी भी गलत कृत्य के पक्ष में उतरना और बचाव करना गलत परंपरा को बढ़ावा देगा। याजक लेखपाल संघ के आचरण ने यही दर्शाया है। जहाँ जनमानस के किसी भी सही कार्य को अनेको दिन रिपोर्ट लगाने और फरियादी को चक्कर लगवाया जाता है वहां पर वरासत जैसे गम्भीर विषय पर लापरवाही कहे या जानबूझकर किया गया कृत्य। आज के लेखपाल के आचरण ने हर किसी को नही बख्सा। उपजिलाधिकारी, अर्दली, पत्रकार के साथ भी खराब बर्ताव किया गया। एक पत्रकार का मोबाइल छीन लिया गया जबकि एक मोबाइल को मार कर गिरा दिया गया।

थानाध्यक्ष के आने के बाद मामला हुआ शांत

उपजिलाधिकारी को कक्ष के अंदर बंद किये जाने के पश्चात आये थानाध्यक्ष आर0के0गौतम द्वारा लेखपाल के संग वार्ता किया गया और सभागार कक्ष में लेखपाल संघ के साथ उपजिलाधिकारी, तहसीलदार व थानाध्यक्ष द्वारा मंत्रणा किया गया। जिसमें किसी भी पत्रकार को अंदर आने से मना किया गया।

अब कार्यवाही हेतु नजरे प्रशासन पर 

अब तहसील प्रशासन द्वारा क्या निर्णय लिया गया है। यह तो लेखपाल संघ और तहसील प्रशासन ही जानता है। क्या अब जांच में दोषी लेखपाल का बचाव किया जाएगा.? या अराजक माहौल को बनाने वाले लेखपालो पर कार्यवाही किया जाएगा। यह तो अब भविष्य के गर्भ में है।

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