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47 साल पहले हुई थी बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर पर रामलीला की शुरूआत




 आज भी अनवरत चर रही है ऊधवराम मिश्र व कृष्णदेव तिवारी के नेतृत्व में शुरू हुई रामलीला
 ऊधवराम मिश्र की मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र पूर्व प्रधान पंडित सदानंद मिश्र संभाल रहे जिम्मेदारी
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। ग्राम पंचायत काजीदेवर में स्थित बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर पर श्रीराम लीला का मंचन विगत 47 वर्षों से अनवरत होता आ रहा है। इसकी शुरूआत वर्ष 1972 में मनकापुर राजघराने व कुंवर आनंद सिंह उर्फ अन्नू भैया के बेहद करीबी रहे ऊधवराम मिश्र तथा कृष्णदेव तिवारी के नेतृत्व में गठित ऊर्जावान युवाओं की टीम द्वारा की गई थी। वर्ष 1998 में कमेटी के अध्यक्ष श्री मिश्र की असामयिक मृत्यु के बाद उनके पुत्र पंडित सदानंद को सर्वसम्मति से यह जिम्मेदारी सौंपी गई, जिनकी अध्यक्षता में यहां की ऐतिहासिक रामलीला निर्बाध रूप से अनवरत चली आ रही है।
      दर्जीकुआं-मनकापुर मार्ग पर ग्राम पंचायत काजीदेवर में स्थित सिद्धपीठ बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर पर वर्ष 1972 में श्रीराम लीला महोत्सव की शुरूआत हुई। कुंदरखी के ग्राम प्रधान रहे लोकप्रिय समाजसेवी ऊधवराम मिश्र व बभनी गांव निवासी कृष्णदेव तिवारी के संयुक्त नेतृत्व में शुरू हुई रामलीला कमेटी में क्षेत्र के तमाम ऊर्जावान युवाओं को शामिल किया गया। जनसहयोग से शुरू हुई रामलीला मंचन का कार्यक्रम साल-दर-साल लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचता रहा। इस दौरान तमाम तरह की विघ्न बाधाएं भी उत्पन्न हुईं किंतु रामलीला कार्यक्रम निर्बाध रूप से अनवरत जारी रहा। बताते हैं कि ऊधवराम मिश्र की क्षेत्र में लोकप्रियता के आगे श्रीराम जी की लीला में आने वाली बाधाएं टिक नहीं सकीं। उनके सारथी रहे कृष्णदेव तिवारी ने भी रामलीला के कुशल, निर्विवाद एवं निर्बाध मंचन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वे हर समय कमेटी के अध्यक्ष श्री मिश्र के कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते थे। युवा, जुझारू एवं ऊर्जावान सदस्यों की मेहनत और संघर्ष की बदौलत बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर की रामलीला लोकप्रियता की मंजिल तय करने लगी। चूंकि क्षेत्र के चारों तरफ कई किलोमीटर की दूरी में बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर पर ही रामलीला का मंचन होता था, इसलिए यहां हजारों की संख्या में रामभक्तों की भीड़ एकत्र होकर लीला मंचन का आनंद लेती थी, जो आज भी बदस्तूर जारी है। यहां रामनगरी अयोध्या के साथ ही दरभंगा आदि की रामलीला मंडली आकर प्रति वर्ष दशहरा के बाद रामलीला का मंचन करती है। यह कार्यक्रम ग्यारह दिनों तक चलता है। 
    वर्ष 1998 में बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर रामलीला समिति पर उस समय मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा, जब समिति के अध्यक्ष पूर्व प्रधान ऊधवराम मिश्र हमेशा के लिए असमय ही काल के गाल में समा गए। श्री मिश्र के असामयिक निधन से लोगों को गहरा आघात लगा। समिति की आपात बैठक बुलाई गई जिसमें कहा गया कि बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर पर आजीवन रामलीला का मंचन कराना स्वर्गीय श्री मिश्र का सपना था। इसलिए इसे उनके पुत्र सदानंद मिश्र की अध्यक्षता में अनवरत, निर्बाध रूप से जारी रखा जाय। इसके साथ ही सर्वसम्मति से पंडित सदानंद मिश्र को बाबा जुगेश्वरनाथ मंदिर रामलीला समिति का अध्यक्ष चुनते हुए कृष्णदेव तिवारी को कोषाध्यक्ष पद पर बने रहने का निर्णय लिया गया। वर्ष 1998 से सदानंद मिश्र की अध्यक्षता में यहां रामलीला होती आ रही है। इस साल की रामलीला 12 अक्टूबर से शुरू होगी। लगातार निर्बाध रूप से चल रही रामलीला अबकी बार 47वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, जो कि इस क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है।
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