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आरोग्य स्वास्थ्य मेले से फाइलेरिया मुक्त भारत का आग़ाज




अखिलेश्वर तिवारी
तुलसीपुर में विधायक कैलाशनाथ शुक्ला व उतरौला में राम प्रताप वर्मा ने किया शुभारम्भ
जिला कारागार में 250 कैदियों को खिलाई गई फाइलेरिया की दवा
बलरामपुर  ।। अधिक से अधिक लाभार्थियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले के साथ फाइलेरिया मुक्त भारत को सफल बनाने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का भी शुभारम्भ किया गया। पहले यह अभियान 17 फरवरी से शुरू होना था लेकिन शासन के निर्देश पर इसे 16 फरवरी यानि रविवार को आयोजित होने वाले मेले के साथ शुरू किया गया। 24 ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व 01 शहरी स्वास्थ्य केंद्र सहित अन्य स्थानों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों, धर्मगुरूओं और अधिकारियों ने फाइलेरिया की दवा खिलाकर अभियान का शुभारम्भ किया। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला कारागार में रविवार को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बी.पी. सिंह ने करीब 250 कैदियों को दवा खिलाकर जिले में अभियान का शुभारम्भ किया। देवी पाटन शक्तिपीठ मंदिर परिसर में महंत मिथलेश नाथ योगी ने, उतरौला विधानसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपरा एकडंगा मे ंविधायक राम प्रताप वर्मा स्वयं दवा खाकर, तुलसीपुर विधानसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बल्देवनगर में विधायक कैलाशनाथ शुक्ला, सदर विधानसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हरिहरगंज में विधायक पल्टूराम के प्रतिनिधि पवन शुक्ला ने और गैसड़ी विधानसभा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नचैरा में विधायक शैलेश कुमार सिंह के प्रतिनिधि मिथलेश सिंह ने मुख्यमंत्री जन अरोग्य मेले में फीता काटने के बाद डीईसी व एलवेण्डाजाल की दवा खिलाकर अभियान का शुभारम्भ किया।
                    
                  मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. घनश्याम सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए 17 से 29 फरवरी तक 31 जिलों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) राउंड चलाने जा रही है। यह एमडीए/आईडीए 2019-20 कार्यक्रम का द्वितीय चरण है। बलरामपुर उन 31 जिलों में से है, जो स्थानीय रूप से फाइलेरिया से प्रभावित है। अभियान के दौरान स्वास्थ्यकर्मी घर घर जाकर फाइलेरिया से बचाव के लिए दवाएं लोगों तक उपलब्ध कराएंगे। इन जिलों में हर व्यक्ति को इन दवाइयों का सेवन करना है। केवल 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को यह दवाएं नहीं दी जाएंगी।

क्या है लिम्फैटिक फाइलेरियासिस
फाइलेरिया, या हाथीपांव, रोग एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या है। यह एक दर्दनाक रोग है जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आती है, हालांकि इस रोग से आसानी से बचा जा सकता है। यह रोग मच्छर के काटने से ही फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन  होती है। फाइलेरिया से जुड़ी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा (पैरों में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।

एमडीए की दवा से कई लाभ
फाइलेरिया से बचाव के साथ एमडीए दवाइयों से कई दूसरे लाभ भी हैं, जैसे यह आंत के कृमि का भी इलाज करती है जिससे ख़ासकर बच्चों के पोषण स्तर में सुधार आता है और उनके शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है। एमडीए के दौरान डब्ल्यूएचओ से अनुशंसित की गई दवाइयां, डाइथेलकार्बामोजाइन साइट्रेट (डीईसी) और अलबेंडाजोल को उन सभी लोगों, फाइलेरिया के संक्रमण से बचाव के लिए उपलब्ध करायी जा रही है, जिन्हें इस रोग के होने का खतरा है । इस रोग के संक्रमण को कम करने के लिए यह दवाई ऐसे क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों को खिलाई जाती है। प्रभावित क्षेत्र में रह रहे समुदाय में सभी लोगों को फाइलेरिया के संक्रमण होने का खतरा बना रहता है, इसलिए यह जरूरी है कि सभी लोग फाइलेरिया रोधी दवाइयों का सेवन जरूर करें।

जिले में फाइलेरिया की स्थिति
जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद ने बताया कि बलरामपुर समेत उत्तर प्रदेश के 31 जिलों में फाइलेरिया (हाथीपांव) रोग स्थानीय रूप से फैली हुई है। 2018-19 में  लिंफोइडिमा के करीब 135 और हाइडड्रोसील के 80 मामले सामने आए है।

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