ट्रेनों से आने वाले बच्चों के लिए दूध, फल, बिस्किट, पानी का किया गया इंतजाम
नंगे पावों को दिये गये दर्जनों जोड़ी जूते, चप्पलें
( मनोज रावत )
प्रतापगढ़। रेलवे स्टेशन किसी तरह से भी कोरोना बम से कम नहीं था। ट्रेनों से निकल कर बाहर आ रही हजारों श्रमिकों की भीड़ को देखकर हर कोई यही अनुमान लगाता था। लोग इस तरह भागते थे मानों उन्हें कोरोना का संदिग्ध छू लिया हो। ऐसी विषम परिस्थितियों में नंगे, भूखे और प्यासे उतरे बच्चों की मदद के लिए अगर कोई आगे आया तो वह था बच्चा बैंक फ्रेंड्स ग्रुप, बीबीएफजी। जिसके वैलेंटियरों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर बच्चों को दूध, फल, बिस्किट, पानी, टॉफी यहां तक कि जूते और चप्पलें दी। समाज सेवा का दम भरने वाली नामी गिरामी एनजीओ भी कोरोना के डर से इस कदर डरी हुई थी कि उसके लोग भी स्टेशन आने से कतरा रहे थे। ऐसे में बीबीएफजी कोरोना योद्धा की माफिक स्टाल पर डटी रही। 11 मई से स्टाल लगाने की शुरूआत हुई। हालांकि प्रशासन द्वारा लंच पैकेट और पानी की व्यवस्था की गई थी। लेकिन बच्चों के लिए अलग से इंतजाम नहीं था। इनके लिए बीबीएफजी आगे आया और उनके लिये स्टाल की व्यवस्था की गई। उनकी पसंद का ख्याल रखा गया। ग्रुप के सहयोगी डॉक्टर अनुराग मिश्रा ने बताया कि 20 दिनों (11 से 30 मई) तक ग्रुप का स्टाल लगा रहा। इस दौरान 6 हजार से अधिक श्रमिकों के बच्चे लाभान्वित हुये। इन दिनों में 42 ट्रेनों को अटेंड किया गया। ग्रुप के सहयोगी धर्मेंद्र दुबे ने स्टाल के काम में सहयोग के लिए रेल प्रशासन के प्रति आभार जताया है। स्टाल के काम से प्रभावित सीआईटी आरबी सिन्हा का कहना है कि बीबीएफजी ने कमाल कर दिया। जहां बच्चों को कोई पूछने वाला दूर दूर तक नहीं था। इस ग्रुप ने उनकी चिंता की। एसएस अनिल दूबे ने कहा कि बच्चा बैंक का काम बहुत ही सराहनीय रहा। इंस्पेक्टर आरपीएफ शैलेन्द्र कुमार और जीआरपी एसओ फूल सिंह ने भी बीबीएफजी के कार्य की सराहना की है।
मदद को बढ़े हाथ, काम हुआ आसान
कार्यों को देखकर कई लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया। ग्रुप के साथी टीटीई रवि कुमार ने बताया कि डॉक्टर अनुराग मिश्रा, सीआईटी आरबी सिन्हा, गार्ड वीके तिवारी, गार्ड एसएन यादव, राजेश कुमार, सीएमआई अभिमन्यु सरोज, विनोद लखमानी, घन्नू के अलावा कई और सहयोगी है जिनके नाम गुप्त रखे गये हैं।
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