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आखिर इस वार्ता को क्या नाम दूं पत्रकार वार्ता या फौजदारी?

 

नरेंद्र लाल गुप्ता

नरेंद्र लाल गुप्ता

गोण्डा:मित्रों आज कल नेताओं के द्वारा प्रेस मीट बुलाकर उनसे मारपीट करना कहां तक जायज बात है ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि विगत दिवस मुरादाबाद में जो कुछ हुआ उससे यदि नेता की नेतागिरी शर्मसार हुई तो पत्रकारों की गरिमा भी काफी धूमिल हुई है वैसे जब यह ज्ञात हुआ कि  इतना अशोभनीय हरकत किसी और नेता के प्रेस मीट में नहीं हुआ है एक ऐसे नेता के समक्ष यह घटना घटित हुई है जिन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से शिक्षा ग्रहण किया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि  सत्ता से दूरी ने इनके सहनशीलता को जंग लगा दिया यहां मेरा तो मानना है ऐसे किसी भी नेता को प्रेस मीट नहीं बुलाना चाहिए जिसे पत्रकारों के सवालों से परहेज हो क्योंकि जब आप ने पत्रकारों को प्रेस वार्ता के लिए आमंत्रित किया होगा तभी तो पत्रकारों का हुजूम आप के ठिकाने पर गया होगा अब यह कहां की  इंसानियत हुई पत्रकार  ने सवाल किया और जवाब देने के बजाय आप ने सभी पत्रकारों के साथ मारपीट जैसी निंदनीय कार्य कर डाला इस शर्मनाक घटना से तो पत्रकारों को भी सीख लेने की आवश्यकता है यूं ही किसी भी ऐरे - गैरे नेताओं की प्रेस मीट में जाने से बचने की आवश्यकता है। अंत में मैं पत्रकार वार्ता के दौरान मारपीट की घटना की घोर निंदा करता हूं।

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