Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

गोण्डा के खाँटी माटी के लाल थे पंडित सिंह


डॉ ओ•पी• भारती

वजीरगंज (गोण्डा):-

खामोशियाँ कर दें बयां तो अलग बात है।

कुछ दर्द है ऐसे जो लफ़्ज़ों में उतारे नहीं जाते।।

पंडित सिंह बोलिथय....यय हमार आदमी होयँ, छोड़ दियो।

आज कुछ सूझ ही नही रहा है, शायद अब ये शब्द सुनने को नही मिलेंगे।

अपने दम पर राजनीत का सफर शून्य से शुरू कर फर्श से अर्श तक पहुचे

--------------------

बिना किसी गॉडफादर के अपने दम पर शून्य से राजनीति शुरू करने वाले पंडित सिंह विधायक से लेकर राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय किया।

सांसद बने की हसरत रह गई बाकी

सांसदी का चुनाव दो बार लडे परंतु मोदी लहर के आगे सफलता नही मिली।उनका सांसद बनने का सपना अधूरा रह गया।

सपा मुखिया मुलायम सिंह और उनकी पार्टी से था अगाध प्रेम:

समाजवादी पार्टी और पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव में इनकी अपार श्रद्धा थी कि जब से पार्टी जॉइन किया फिर मुह उठा कर दूसरी पार्टी की तरफ नही देखा। यही वजह थी कि जब भी सपा की सरकार बनती थी तो पंडित सिंह का मंत्री बनना तय रहता था। एक बार की बात है सपा पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ जीत कर आई थी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह के घर पर विधायकों का जमवाड़ा लगा हुआ था , वहीं पर पंडित सिंह एक पेड़ की डाल को पकड़े खड़े हुए थे। मुलायम सिंह की जब नजर पंडित सिंह पर पड़ी उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा पंडित सिंह को मंत्री जरूर बना देना नहीं तो यह इसी पेड़ से लटक कर फांसी लगा लेंगे। इतना कहकर मुलायम सिंह हंसने लगे और पंडित सिंह जाकर मुलायम सिंह के पैर छुए और उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया।

पार्टी मुखिया मुलायम सिंह का पंडित सिंह के प्रति अगाध प्रेम था एक बार आपसी रंजिश में में पंडित सिंह को गोली लग गई यह सूचना मुलायम सिंह तक पहुंची उन्होंने तत्काल हेलीकॉप्टर भेज कर पंडित सिंह को लखनऊ बुला लिया और वहां पर उनका किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में इलाज कराया।



नेता तो बहुत होंगे पर पंडित सिंह जैसा नही मिलेगा:

नेता तो बहुत लोग बन जाएंगे मंत्री विधायक सांसद भी एक से एक बन जाएंगे लेकिन पंडित सिंह बनना हर किसी के किस्मत में नही। पंडित सिंह बनने के लिए कई जन्म लेने पड़ेंगे तब भी कोई पंडित सिंह नही बन पाएगा।

सांसद बृजभूषण सिंह ने दिया कन्धा

विनोद कुमार सिंह पंडित सिंह ऐसे ही नही पंडित बन गए थे। वे राजनीतिक पंडित थे। जनता क्या चाहती है, जनता की नब्ज को टटोलना पंडित सिंह को बखूबी आता था। अत्यंत मिलनसार स्वभाव के धनी हर समय अपने लोगो के लिए उपस्थित रहते थे। रात दो बजे भी यदि फोन लगाया तो फोन जरूर उठता था। कभी न स्विच ऑफ होने वाला मोबाइल आज स्विच ऑफ बात रहा है।अधिकारी हो या कर्मचारी, जनता जनार्दन हो या पत्रकार सबसे हंसा-खेला कर काम कैसे निकाला जाता है ये गुण तो सिरफ़ पंडित सिंह के पास था।

खाता न बही।

जवन पंडित कहैं वहय सही।

ये बाते अक्सर पंडित सिंह के विषय ।के कही जाती थी। क्योकि हर क्षेत्र के माहिर थे पंडित सिंह। किसकी गलती है, कौन सही है,ये सब बड़ी जलती जज कर लेते थे, उसी पर उनका निर्णय होता था। फिर खाता न बही, जवन पंडित कहय वाहय सही।

जन्मदिन मनाने का दौर शुरू हुआ तो पंडित सिंह ने 7 तारीख को अपना जन्मदिन मनाने शुरू किया, लेकिन क्या पता था कि यही 07 तारीख उनके जिंदगी की अंतिम तारीख होगी।


संस्मरण कमर दा की कलम से

दैनिक हिंदुस्तान के प्रभारी कमर दा अपने अनुभव शेयर करते हुए कहते है कि "गजब की शख्सियत थे आप गजब की - करीब बीस पच्चीस साल की पत्रकारिता में ऐसे जनप्रतिनिधि से पाला नहीं पड़ा जैसे आप से। बिल्कुल सहज सरल सपाट। जो दिल में वो जुबान पर। बिलकुल आईने की तरह साफ।

मुझे याद है एक बार विधानसभा चुनाव था। लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार आई थी। उसी दौरान सीएमओ वाला मामला उठा फिर वो घूम टहल कर चली गईं। दूसरे दिन पहले पेज पर खबर छपी गोंडा के राबिन हुड है पंडित सिंह - खबर किसी ने मंत्री जी को बताई होगी - भड़क गए तत्काल फोन आया - ई काव आऊ बाऊ छाप दिहे हो परभारी जी, हम राबिन हुड हई : मै समझ गया वो राबिन हुड का मतलब गलत समझ गए। सहयोगी संजय तिवारी को भेजा-उन्होंने समझाया मंत्री जी राबिन हुड कै मतलब गरीबन कै मसीहा होत है - मंत्री ठहाका मार कै हंसे कहे तब छापौ छापौ हम समझा गुंडा बदमाश होत है।

एक दिन एक उन्होंने कोई बड़ा बयान दिया कहा छाप दिहो तानि कै । संयोग से खबर प्रदेश पेज पर लगी। सुबह उन्हें नही दिखी - बताया गया प्रदेश पेज पर यूपी भर में छपी है - बोले लुकवाए कै छाप दिहो गोंड़ा वालै मां छापै कै रहा। हुया के पढ़ी हो। एक बार बलरामपुर आफिस गए हिन्दुस्तान के आफिस। मेज पर अखबार रखा था प्रभारी राकेश यादव जी से बोले का हो हियौ हिन्दुस्तान आवत है - बहुत सारी बातें हैं क्या क्या कहे लिखे । सहजता सरलता के धनी थे आप। अहंकार कभी नहीं छलका दिखाई दिया।"

कभी घर पहुंच जाओ तब सुनौ - ऐ सूरज ऐ फलाने देखव हिन्दुस्तान से कमर अब्बास जी आवा हैं लाव जौऊन है खियाओ पियाओ, बहिर होई गए सब हिया आओ बे देव चाय पानी जल्दी ऊ अंदरवा से नीक वाला बिस्कुट लेत आयो। कोई भी शख्स हो। पत्रकार हो या और कोई मिलना सुनना तपाक से आपकी अजब आदत थी। विवाद भी खूब जुड़े आपके साथ - अपने अंदाज में आपने सब सुलटा लिया। एक बड़े मामले में लखनऊ में एक पत्रकार का फोन आया मंत्री जी से मिलना है बाईट लेनी है। सिफारिश कर दी, बोले काव पूछिहै हमने कहा कुछ नहीं दो चार सवाल। उन्होंने बुला लिया - बाद में पत्रकार महोदय का फोन आया गजब के है आपके मंत्री जी। हमने पूछा आपका इसमें नाम आ रहा है क्या कहना है - बोले जौऊन मन करै छापि देव हमार कछु न उखरि।बोले बाईट चाहिए तो कह दिया ई काव होत है।.



फ़ाइल वीडियो 

सबको रुला गए गोण्डा की माटी लाल पंडित सिंह

आप सबको रुला कर चले गए सबको। विरले होते हैं वो लोग जिनके जाने पर जमाना आंसू बहाता है। शत शत नमन। लिखने को बहुत कुछ है लेकिन आपकी भाषा में - काव काव लिखबो पन्ना कम परि जाई, चुप्प मारि कै बईठो हम कहूँ गवा नाही हन - तोहरे सब्बै कै दिल मां रहब।

              अंतिम संस्कार में उमड़े जन सैलाब में लोगो के आंखों से  आंसुओं की बारिश जारी है.... हजारों की भीड़ में बस यही एक सवाल था अब पंडित सिंह जैसा नेता नही मिलेगा।

कर्मठ,संघर्षशील और बेबाक अंदाज के धनी श्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह का आसमयिक निधन गोंड़ा के लिए अपूर्णीयनीय क्षति है। शायद ईस्वर की मर्जी और नियति के संयोग को यही मंजूर था।

पंचतत्व में विलीन हुए पंडित सिंह

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 

Below Post Ad

5/vgrid/खबरे