गिरवर सिंह
झांसी:सांस्कृतिक विरासत किसी समाज का वह मापदंड है, जिससे उसकी वास्तविक समृद्धि का पता लगाया जा सकता है। गायन, नृत्य, रंगमंच, लोक कलाएं ऐसी विरासत हैं इन्हें सहेजना, सवारना, इससे जुड़े हुए लोगों को संरक्षण व मंच देना समय की मांग है।
उक्त बातें मंडलायुक्त झाँसी डॉ अजय शंकर पाण्डेय ने कमिश्नरी सभागार में
उन्होंने कहा कि ऐसा ना हो कि संचार क्रांति और आधुनिकता के द्वंद में स्थानीय मौलिक लोक कलाएं विलुप्त हो जाएं।
- बैठक में मंडलायुक्त ने कहा कि बुंदेली सांस्कृतिक धरोहर का एनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जाए।
- सांस्कृतिक दलों को भारत व राज्य सरकार के कार्यक्रमों से जोड़ने का कार्य किया जाए।
- उत्तर मध्य सांस्कृतिक क्षेत्र प्रयागराज में बुंदेलखंड के कलाकार पंजीकरण हो।
- बुंदेली लोक कला से सजाएंगे झांसी मंडल के मंडलीय कार्यालय
- उत्तर प्रदेश शिल्पग्राम व राजस्थानी कलाओं से सजी चोखी ढाणी की तर्ज पर बुंदेलखंड की लोक कलाओं, व्यंजनों, सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन हेतु बुंदेली शिल्प कला मंच की स्थापना*
- . बुंदेलखंड के स्थानीय लोक वाद्य यंत्रों को सहेजकर बुंदेली कचहरी को संरक्षित किया जाय
- जल संरक्षण पर केंद्रित नाटक के मंचन हेतु जल शक्ति मिशन के कार्यक्रमों से नाटक दलों को जोड़ा जाएगा
- आयुक्त ने आज इन कलाकारों के साथ बराबरी से बैठकर उसी कुल्हड़ में चाय पी जिसमें कलाकारों को चाय दी गई थी उन्होंने अपने कप को हटाते हुए कलाकारों के साथ बैठकर जमकर बातें की तथा बुंदेली सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने पर उनके प्रस्ताव मांगे
- आयुक्त ने अंत में कहा कि कलाकारों और कलाओं को सम्मान देना बहुत जरूरी है वरना यह कलाएं समय के साथ विलुप्त हो जाएंगी
बैठक में झाँसी मंडल के तीनों जिलों के लगभग 30 कलाकारों सहित संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
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