वासुदेव यादव
अयोध्या। हनुमानगढ़ी के संतों ने महेंद्रदास को महावीर मंदिर का महंत किया नियुक्त। बोले-कुणाल ने मंदिर को निजी जायदाद बना लिया है।
महावीर मंदिर के सर्वे सर्वा के रूप में महेंद्र दास चुने गए। बिहार के पटना स्थित महावीर मंदिर पर वर्चस्व की लड़ाई जारी है। अब तक आरोप-प्रत्यारोप के दौर ही चल रहे हैं। इस बीच बुधवार को अयोध्या के सबसे प्राचीन हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन प्रेमदास महाराज ने महावीर मंदिर के सर्वे सर्वा के रूप में हनुमानगढ़ी से जुड़े महेंद्रदास की नियुक्ति कर दी। यही नहीं बाकायदा हनुमानगढ़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर महेंद्रदास को पारंपरिक विधि से पटना महावीर मंदिर का महंत भी नियुक्त कर दिया।
हनुमानगढ़ी के इस कदम के बाद पटना महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग और तेज होगी और एक बड़े विवाद की आधारशिला भी तैयार हो गई है। इसलिए महेंद्रदास का नाम प्रेमदास ने बताया कि बाबा महेंद्रदास पहले महावीर मंदिर के महंत रह चुके हैं और भगवानदास उनके नाती हैं। पटना में इनका एक और स्थान है। वहां पर ये वर्तमान में महंत हैं। इनको हनुमानगढ़ी के पंचों ने एकमत होकर महावीर मंदिर का सर्वहाकार बनाया गया है। वे अब वहां की देखरेख का कार्य करेंगे। इनकी नियुक्ति के साथ ही उन्हें वहां भेजा भी जा रहा है। अखाड़े की परंपरा के अनुसार, प्रधान पुजारी सूर्यवंशी महाराज जिन्हें किशोर कुणाल ने हटा दिया था, उन्हें फिर वहीं बैठया गया है।
पूर्व आईपीएस कुणाल पर महावीर मंदिर पर कब्जे का आरोप
हनुमानगढ़ी के पंचों ने इस संबंध में पूर्व आईपीएस और महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन प्रेमदास ने आरोप लगाया है कि किशोर कुणाल ने अवैध तौर पर महावीर मंदिर पर कब्जा कर लिया है और पूर्व महंत भगवानदास को षड्यंत्र में फंसा कर जेल भी भेजा। किशोर कुणाल रामानंदी परंपरा का नाशकर मंदिर को अपनी पैतृक जायदाद मान कर रहे हैं। मगर हाईकोर्ट से वे निर्दोष साबित हुए हैं। फिलहाल, मंदिर पर कुणाल की ओर से स्थापित महावीर मंदिर न्यास पटना ट्रस्ट का आधिपत्य है और इसकी शिकायत प्रेमदास ने प्रधानमंत्री कार्यालय में भी की है।
करोड़ों में है मंदिर की आय:
अयोध्या। सूत्रों की माने तो वर्चस्व की लड़ाई के पीछे महावीर मंदिर की बड़ी आमदनी भी है। महावीर मंदिर की आय लगभग 20 करोड़ सालाना बताई जाती है, जबकि पूरे मंदिर ट्रस्ट का बजट लगभग 100 करोड़ से ज्यादा का है। यही वह वजह है जिसके कारण महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग तेज होती जा रही है।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ