डॉ ओपी भारती
वजीरगंज गोण्डा:सूबे की सरकार ने कोरोना काल के दौरान कोरोना से संक्रमित हुए व्यक्ति की मृत्यु के परिवार को सरकारी अनुदान के साथ परिवार के एकसदस्य को सरकारी नौकरी में वरीयता देने का निर्देश जारी किया था। निर्देश को अमल में लाने के लिए यूपी के सभी जिलों में इसकी कवायद शुरू हो गई। कोरोना काल के दौरान जो कोरोना संक्रमण से नही मरे उनके परिवार के लोग भी योजना का लाभ पाने के लिए स्वाभिवक मौत को कोरोना से मौत दिखा रहे है। हाल ही में गोंडा जेल में निरुद्ध एक बन्दी बद्रीप्रसाद कोरोना से संक्रमित हो गए जेल प्रशासन ने जिला अस्पताल में बद्रीप्रसाद का आरटीपीसीआर जांच करवाया जिसकी कोरोना केशआईडी GON 00319131 और सैंपल आईडी 42588594 है। कुछ दिन बाद जेल में निरुद्ध बन्दी बद्रीप्रसाद की कोरोना से मौत हो गई जिसकी उम्र 65 साल थी। वजीरगंज के बिरहमतपुर के रहने वाले मो मुस्लिम की तबियत अचानक बिगड़ी जिनको इलाज के लिए परिवार वाले जिला अस्पताल ले गए जहा उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। मो मुस्लिम के परिवार वालों ने जिला अस्पताल में कोरोना जांच करने वाले कर्मियों से साठगांठ कर मो मुस्लिम के नाम से आरटीपीसीआर रिपोर्ट कोरोना से संक्रमित बनवा ली जिससे मो मुस्लिम को भी सरकारी सहायता मिल सके। आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट में सबसे बड़ा खेल यह हुआ कि जेल में निरुद्ध बन्दी बद्री प्रसाद और मो मुस्लिम की कोरोना जांच की केशआईडी और सैंपल आईडी समान है और जांच में पता भी समान लिखा है। ज्ञात रहे कि किसी भी व्यक्ति की जब भी कोरोना की जांच होती है तो दोनो आईडी भिन्न भिन्न होती है। मो मुस्लिम के परिवार वालों ने कोरोना से संक्रमित मौत पर सरकार से मिलने वाले अनुदान के लिए यह खेल खेला है अब देखना यह है कि इस मामले में जिले के संबंधित अधिकारी क्या करते है।
मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर राधेश्याम केसरी ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में है। बद्री प्रसाद की मौत कोविड से हुई है। प्रकरण की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेंगी।