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मनुष्य के जीवन पट शैली का एक प्रमुख अंग है श्रीमद्भागवत गीता :कथा व्यास करुणा शंकर


नगर क्षेत्र के पूर्वी सहोदरपुर में चल रही है श्रीमद्भागवत कथा

एस के शुक्ला

प्रतापगढ़। श्रीमद्भागवत गीता मनुष्य के जीवन पट शैली का एक प्रमुख अंग है। जिसे अंगीकार किए बिना श्रीमद्भागवत गीता कथा अधूरी रहती है।


यह उद्गार नगर क्षेत्र के पूर्वी सहोदरपुर में वरिष्ठ समाजसेवी विंध्यवासिनी श्रीवास्तव के यहां आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे चरण में कथाव्यास पंडित करुणा शंकर द्विवेदी ने कही। 


उन्होंने इस दौरान मनु कर्दम की कथा को सविस्तार वर्णन करते हुए कथा के प्रासंगिकता में व्यास करुणा शंकर द्विवेदी ने दैनिक जीवन में खुशहाली और समृद्धि के लिए महिलाओं को बताया कि ससुराल पक्ष में बेटी शालीनता पूर्वक संस्कृति, संस्कार का ख्याल रखते हुए ससुराली परिजनों की यथा संभव सेवा करना चाहिए और अपनी विनम्रता, सहनशीलता को ढाल बनाकर परिवार की समृद्धि और खुशहाली के लिए त्याग करना चाहिए। 


बेटी के सामाजिक जीवन में कई स्वरूप सामने आते हैं जिनमें कभी बेटी मां कभी बहन और कभी मातृ शक्ति के रूप में आती है परंतु बेटी सदैव सहनशीलता और त्याग की मूर्ति मानी जाती है।


इस मौके पर समाज सेवी संजय शुक्ल, शुभम श्रीवास्तव, पत्रकार श्याम शंकर शुक्ल, सत्येंद्र तिवारी,विनय तिवारी,हरी लाल विश्वकर्मा,चिन्ता मणि दुबे,आकाश श्रीवास्तव,अर्चना श्रीवास्तव, सूर्य प्रकाश श्रीवास्तव, पूर्णिमा श्रीवास्तव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, किरण श्रीवास्तव, हिमांशु प्रकाश श्रीवास्तव, गौरव श्रीवास्तव समेत आदि श्रोता गण मौजूद रहे।

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