हत्यारोपी के मित्र व बहन को षडयंत्रकारी करार देते हुए कर चुकी है गिरफ्तार
एसओजी व पुलिस की 12 टीमों की सक्रियता पर खड़े किए जा रहे सवाल
ए. आर. उस्मानी
गोण्डा। असलहा, तलवार और रस्सी से लैस होकर एक युवक धड़धड़ाते हुए घर में घुसकर अंदर से चैनल बंद कर लेता है और फिल्मी स्टाइल में पति-पत्नी के साथ ही दो युवतियों पर तलवार से हमलाकर देता है, जिसमें तीन की मौके पर ही मौत हो जाती है, जबकि गंभीर रूप से घायल एक युवती का लखनऊ में इलाज चल रहा है।
दिल को दहला देने वाली यह घटना 24 नवंबर की शाम करीब साढ़े छह बजे अंजाम दी गई। शहर के गल्लामंडी रोड पर स्थित शिवनगर कॉलोनी में रहने वाले सेवानिवृत्त रेलकर्मी देवी प्रसाद, पत्नी पार्वती देवी, बड़ी बेटी शिंपा व छोटी बेटी इस्पा को 24 नवंबर की शाम उनके घर में घुसकर युवक अशोक कुमार ने तलवार से काट डाला था।
इस हमले में देवी प्रसाद, उनकी पत्नी पार्वती देवी व बड़ी बेटी शिंपा की मौत हो गई, जबकि इस्पा का इलाज लखनऊ में चल रहा है। ताबड़तोड़ हत्याएं करने के बाद युवक छत पर चढ़कर साथ लायी रस्सी के सहारे दूूसरी मंजिल से उतरकर फरार हो गया।
घटना की सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया। डीआईजी उपेंद्र कुमार अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्र, अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज समेत अन्य अधिकारी जिला अस्पताल तथा घटनास्थल पर पहुंचे।
हत्यारोपी की पहचान अशोक कुमार पुत्र रामहेतु निवासी धानीखेड़ा थाना बीघापुर जनपद उन्नाव के रूप में हुई। घटना के कुछ घंटे बाद ही पुलिस ने हत्यारोपी की फोटो भी जारी कर दी।
हत्यारोपी की गिरफ्तारी के लिए एसओजी के साथ ही पुलिस की 12 टीमें लगाई गयीं। 27 नवंबर को पुलिस ने अशोक कुमार के मित्र महराजगंज जिले के ग्राम रूधौली थाना निचलौल निवासी शत्रुघ्न पुत्र मुक्तिनाथ को हत्या के षडयंत्र में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया और 01 दिसम्बर को अशोक की बहन अनीता को भी गिरफ्तार कर लिया।
कहा गया कि अनीता की अशोक से लम्बी बातचीत हुई और अशोक ने उसके खाते में 2 लाख रूपये भेजे हैं। इसी आधार पर उसे भी तिहरे हत्याकांड का षडयंत्रकारी करार दिया गया। सरेशाम हुए ट्रिपल मर्डर केस ने जिले को हिलाकर रख दिया था।
आनन-फानन में हत्यारोपी पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया। बाद में यहां आए एडीजी गोरखपुर जोन अखिल कुमार ने इसे बढ़ाकर एक लाख कर दिया और दावा किया कि अतिशीघ्र तिहरे हत्याकांड का मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होगा।
लेकिन एडीजी का यह दावा हवाई साबित हो रहा है। जिले की पुलिस 8 दिन बाद भी मुख्य हत्यारोपी का सुराग तक नहीं लगा सकी, बल्कि वह लकीर पीटने में लगी है और जनता, मीडिया व आलाधिकारियों का ध्यान बांटने के लिए परिजनों व मित्रों को षडयंत्रकारी करार देते हुए गिरफ्तार कर अपनी नाकामी पर पर्दा डालने का प्रयास करते हुए जेल भेज रही है।
हालांकि पुलिस की इस कार्यशैली पर सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि मित्र व बहन की गिरफ्तारी के बाद अब किसकी बारी है?
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