सुनील उपाध्याय
बस्ती। जिस समय भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की ओर अग्रसर थी।
बस्ती जनपद में सभी पांचों सीटों पर सपा प्रत्याशियों के साथ यहां काटे की लडाई थी।
कद्दावार नेता राम प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में बस्ती में सपा ने पांच में से 4 सीटों पर कब्जा कर लिया है।
भाजपा को केवल हर्रैया में सफलता मिली है और वर्तमान विधायक अजय सिंह सपा के त्रयम्बकनाथ पाठक को पराजित कर चुनाव जीत गये है।
जबकि दूसरी ओर बस्ती सदर ने सपा के महेन्द्रनाथ यादव कांटे के संघर्ष में देर शाम विजयी घोषित किये गये।
उन्होने वर्तमान विधायक दयाराम चौधरी को पराजित किया। महादेवा विधानसभा क्षेत्र से यह मिथक टूट गया कि यहां से जिस दल का प्रत्याशी चुनाव जीतता है सरकार उसी की बनती है।
सपा गठबंधन से छड़ी चुनाव निशान से दूधराम ने वर्तमान भाजपा विधायक रवि सोनकर को पराजित किया।
पूर्व कैबिनेट मंत्री राम प्रसाद चौधरी के पुत्र कविन्द्र चौधरी अतुल ने कप्तानगंज से भाजपा विधायक सीए चन्द्र प्रकाश शुक्ल को पराजित किया।
जबकि रूधौली विधानसभा से सपा प्रत्याशी राजेन्द्र प्रसाद चौधरी ने भाजपा विधायक संजय प्रताप जायसवाल की पत्नी भाजपा प्रत्याशी संगीता प्रताप जायसवाल को पराजित किया।
इस लिहाज से देखे तो भाजपा की आंधी में बस्ती में सपा की लहर चली और भाजपा को 4 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है।
जिले में भारतीय जनता पार्टी अंतरकलह की शिकार हो गई। नतीजतन भाजपा ने पांच में से चार सीटें गंवा दी।
हर्रैया से अजय सिंह जीत का जादुई आंकड़ा पाने में सफल रहे।
बाकी चार सीटों महादेवा, रुधौली, कप्तानगंज और बस्ती सदर की सीट भाजपा की झोली से निकल कर सपा के पास चली गई।
सबसे चौंकाने वाला परिणाम बस्ती सदर का रहा। चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही हर किसी के जुबान पर बस्ती सदर से भाजपा की जीत पक्की होने की बात थी।
सपा ने भाजपा के इस गढ़ में सीट फंसा दी। भाजपा के प्रत्याशी दयाराम चौधरी 32 चक्र की मतगणना में बढ़त बनाए हुए थे लेकिन इसके बाद सपा प्रत्याशी के आगे नहीं टिक पाए।
अंतत: यह शहरी सीट भी भाजपा हार गई। सपा के महेंद्र यादव ने पहली बार इस सीट से सपा का खाता खोला है।
मुंडेरवा क्षेत्र में किसानों की नाराजगी, महंगाई और बेसहारा पशुओं का मुद्दा गरमाने में सपा सफल रही।
भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ल ने जिले में हुई करारी हार की जिम्मेदारी देते हुए कहा कि पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों के साथ बैठक कर हार की समीक्षा करेंगे।
समीक्षा में कहां चूक हुई इसकी चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे। हार की वजह पार्टी में अंतरकलह को वजह मानने पर सीधे तौर पर इनकार कर दिया।
कहा चुनाव में सभी जिम्मेदारों की समीक्षा के बाद ही वह इस बारे में कुछ कहने की स्थिति में होंगे।
विधानसभा चुनाव बस्ती में आए परिणाम ने चौंकाया ही नहीं बल्कि इतिहास भी बनाया। जिस बस्ती सदर सीट से सपा कभी जीत नहीं दर्ज कर सकी थी,उसे जीतकर सपा जिलाध्यक्ष महेंद्रनाथ यादव ने पार्टी में अपना कद बढ़ा लिया।
सपा खेमे में पहली बार जीत की खुशियां छाई रही जबकि भाजपा हार से विचलित दिखी।
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