वासुदेव यादव
अयोध्या:आज का युवा धरातल पर रहकर वास्तविक जीवन जीने की अपेक्षा बनावटी व आकर्षक जीवन जीने की ओर आँख मूँदे भागा चला जा रहा है।
स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने की आपाधापी में लोग मानव मूल्यों को भूल चुके हैं। जबकि आज के युवा वर्ग के लिये सबसे ज्यादा जरूरी है जीवन की वास्तविकता को पहचान कर जन- कल्याण की नियति से जीवन यापन करना।
यह बातें प्रसिद्ध समाजसेवी हरिओम तिवारी ने अयोध्या के जानकी महल ट्रस्ट में चल रही पाँच दिवसीय रामकथा के क्रम में तीसरे दिन कथा सुनने आये भक्तगणों से कही।
कथा व्यास के रूप में बोलते हुये हरिओम ने कहा कि जिस प्रकार किसी पेड़ पर फ़लों से कई गुना संख्या में पत्तियाँ रहती है, परंतु पेड़ की वास्तविक पहचान उसके फलों से होती है।
उसी प्रकार मानव का जीवन भी है। अर्थात मानव कर्म प्रधान है, समाज में किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके द्वारा किये गये कार्यों से होती है।
उन्होंने कहा कि यह हमारे कर्म ही होते हैं जो हमें औरों से बेहतर व अलग बनाते है। अन्यथा एक ही नाम के तो न जाने कितने लोग इस धरा पर निवास करते हैं।
समाजसेवी ने आये लोगों से आवाह्न किया कि हम लोग सैदव सबसे मीठी वाणी में बोलने की कोशिश करे जिससे हमारी बातों से किसी के भी हृदय को चोट न पहुँचे।
ज्ञात हो कि कथा व्यास हरिओम तिवारी उद्दोगपति होने के साथ ही समाजसेवा में भी अग्रणी भूमिका में रहते हैं।
उन्होंने राघवचरणानुरागी सेवा दल नामक समूह की स्थापना कर लोगों के जरूरत में सहायता हेतु सदैव उपस्थित रहने का सुलभ रास्ता बनाया है।
इस अवसर पर शिवओम तिवारी, संदीप तिवारी,प्रदीप दुबे, प्रदीप पाण्डेय, नरेश पोतदार, आदित्य सुल्तानिया, सहित सैकङो भक्तगण उपस्थित रहे।
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