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करनैलगंज:साहित्यिक संस्था बज्में शामें गजल द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में शायरों ने पढ़ी शायरी

रजनीश

करनैलगंज(गोंडा)। साहित्यिक संस्था बज्में शामें गजल की तरही नशिस्त काव्य गोष्ठी करनैलगंज नगर के मोहल्ला कसगरान में आयोजित हुई। जिसकी अध्यक्षता हाजी शब्बीर शबनम व संचालन याकूब सिद्दीकी अज्म गोंडवी ने किया। महामंत्री मुजीब सिद्दीकी ने स्वागत वक्तव्य दिया। 


सगीर अहमद सिद्दीकी की तरही नात से गोष्ठी की शुरुआत हुई। शायरों ने मिसरा तरह "उम्र बीत जाती है दिल को दिल बनाने में" राज इलाहाबादी मरहूम पर कलाम प्रस्तुत किए। 


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हाजी शब्बीर शबनम ने कहा-हिंदू हो या मुस्लिम, सिख हो या इसाई। खून सबका शामिल है मुल्क को बचाने में।


अनीश खां आरिफी ने हौसला बढ़ाते हुए कहा- ना शिकस्तगी हमने पत्थरों से सीखी है, हम यकीन नहीं रखते गिर के टूट जाने में।


डॉक्टर असलम वारसी ने अंदेशा जाहिर किया- यह खुदा की मर्जी थी या हवाओं की साजिश, एक दिया जलाने में, एक दिया बुझाने में।


वीरेंद्र विक्रम तिवारी बेतुक ने आह्वान किया- है बहुत जो महंगाई इंकलाब जिंदा कर, क्या रखा है ए नादान ऐसे बड़बड़ाने में।


मोहम्मद मुबीन मंसूरी ने दर्द बयान किया- वह जवान बेवा हो या यतीम हो बच्चे, कितना दर्द पिन्हा है इनके मुस्कुराने में।


कौसर सलमानी ने कहा- किस कदर तरक्की है आज के जमाने में, झूठ है बुलंदी पर सच है कैद खाने में।


अजय कुमार श्रीवास्तव ने पैगाम दिया- नफरतों से क्या हासिल है भला जमाने में, आप कोशिशें कीजे अम्न को बढ़ाने में। 


साथ ही मुजीब सिद्दीकी, ताज मोहम्मद कुर्बान, हाजी नियाज कमर, याकूब अज्म गोंडवी, अवध राज वर्मा करुण, रसीद माचिस, ईमान गोंडवी, आतिफ गोंडवी, सलीम बेदिल, खिज्र अंसारी, समीउल्लाह व यासीन अंसारी ने कलाम पेश किए। संस्था की ओर से लखनऊ में करनैलगंज के शायर नूर मोहम्मद नूर और करनैलगंज के सेवानिवृत्त शिक्षक काली प्रसाद ओझा की दुर्घटना में मृत्यु पर शोक व्यक्त किया गया। 


इस अवसर पर हरीश शुक्ला, साबिर सभासद, हाजी वारिस अली, खुर्शीद आलम, मोहम्मद यूनुस, सोनू श्रीवास्तव, आशिक रसूल, अब्दुल्ला युसूफ खान, मेराजुद्दीन, ऋषभ शुक्ला, राजा कुरैशी सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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