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राज्यसभा सदस्य के प्रमोद तिवारी के निर्वाचन ने गढ़ा संसदीय अध्याय में एक और सियासी कीर्तिमान



जीत के बाद प्रमोद तिवारी को बधाई देते राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत

वेदव्यास त्रिपाठी

प्रतापगढ़। राज्यसभा का चुनाव परिणाम देश के संसदीय अध्याय मे प्रमोद तिवारी के नाम पर एक नया सियासी कीर्तिमान की भी बेल्हा को चमक दे गया है। 


कांग्रेस के कददावर नेता और सीडब्ल्यूसी मेंबर प्रमोद तिवारी की बडी सियासी पारी में सदैव अजेय प्रमोद तिवारी का सुनहला नाम दर्ज हो उठा तो प्रतापगढ़ खासकर रामपुर खास खुशी से इतरा उठा।


 रामपुर खास से नौ बार लगातार कांग्रेस से विधायक निर्वाचित होने को लेकर प्रमोद तिवारी वर्ल्ड आफ द गिनीज बुक में चमक रहे सियासी चेहरे की खूबी रखते हैं। वहीं 2014 में पहली बार यूपी जैसे बड़े राज्य से राज्यसभा मंे निर्विरोध निर्वाचन का भी प्रमोद तिवारी के नाम सेहरा है। 


हालिया राज्यसभा चुनाव में पार्टी की केन्द्रीय वर्किग कमेटी का मेंबर होने के नाते शीर्ष नेतृत्व ने प्रमोद तिवारी को बड़े राज्य राजस्थान से राज्यसभा में ले आने का फैसला लिया। 


सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले प्रमोद तिवारी ने राजस्थान में जीत का जो गुल खिलाया है उससे कांग्रेसी तो मगन है साथ में भाजपाई एक बार फिर चुनावी समीकरण को देखकर चकित होने को विवश भी देखे जा रहे है। 


वहीं नौ बार विधायक के साथ कांग्रेस से ही दूसरी बार राज्यसभा पहुंचने वाले प्रमोद तिवारी संसदीय सियासत में ग्यारह बार जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के बिरले नेता भी साबित हो उठे है। 


यह भी सियासी संयोग का अंकगणित भी गजब का है कि ग्यारहवीं बार सियासी पारी में जीत दर्ज करने वाले प्रमोद तिवारी की इस बार भी राज्यसभा के चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंदी सुभाषचंद्रा से भी जीत का अन्तराल ग्यारह मतों का आया है। 


प्रमोद तिवारी के नाम दर्ज इस ग्यारहवीं जीत में हर बार सिर्फ जीत और जीत का ही अनोखा अध्याय उन्हें राजनीति का अपराजेय योद्धा भी बना गया है। 


हालांकि प्रमोद तिवारी राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक नेताओं मे शुमार थे। सीएम अशोक गहलोत जहां प्रमोद तिवारी को पार्टी में वरिष्ठता का शुरू से मान देते रहे वहीं दिवंगत कांग्रेस के राजस्थानी छत्रप राजेश पायलट से भी प्रमोद तिवारी के पारिवारिक रिश्ते चुनाव में पहले ही चक्र में प्रमोद तिवारी की जीत का मुफीद परिणाम सार्थक कर गया। 


प्रतापगढ़ के प्रतिष्ठित सियासी परिवार में जन्मे पेशे से हाईकोर्ट इलाहाबाद के मशहूर अधिवक्ता की भी ख्याति रखने वाले प्रमोद तिवारी सियासत के ऐसे मजबूत नेता के रूप में आज उस मुकाम पर आ पहुंचे हैं कि उन्हें हर चुनाव में जीत की ही मिठास मिलती आ रही है। 


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले प्रमोद तिवारी को राज्यसभा के इस चुनाव में तगड़ी घेराबंदी के लिए भाजपा की बिछायी गयी बिसात औधें मुंह गिर गयी है। 


भाजपा को हाल ही में यूपी विधानसभा के चुनाव में प्रमोद तिवारी की परम्परागत सीट रामपुर खास मे भी कांग्रेस के विपरीत नजर आये हालात के बीच में मुंह की खानी पड़ी है। 


प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा मोना यहां हैट्रिक जीत लगाने मे सफल हुई हैं। सियासत की पकड़ रखने वाली चर्चाओं पर गौर करें तो भाजपा ने राजस्थान में सबसे ज्यादा जोर प्रमोद तिवारी को लेकर इसलिए लगाया था कि प्रमोद तिवारी राज्यसभा के पिछले कार्यकाल में हर कदम पर मोदी सरकार को चुभन पैदा किये हुए थे। 


बीजेपी वाकपटु और संसदीय ज्ञान के माहिर प्रमोद तिवारी को इस बार आसानी से राज्यसभा में न पहुंचने के लिए कुछ इन्हीं कारणो से ज्यादा जोर लगाये हुए थी। 


इसीलिए बीजेपी ने देश के चुनिंदा पूंजीपति घराने के सुभाषचंद्रा को राजस्थान विधानसभा में दूसरी सीट के लिए विधायकों के संख्याबल की कमी को जानने के बावजूद खरीद फरोख्त के सहारे बाजी अपने पक्ष में करने के लिए समर्थन दिया। 


यह बात दीगर है कि कांग्रेसी दिग्गज प्रमोद तिवारी को भाजपा तक के विधायक का वोट मिल जाना जयपुर से लेकर दिल्ली तक के भाजपाई सूरमाओं के खेमें की भी अब नींद उडा बैठी है। 


दूसरे प्रमोद तिवारी को गांधी नेहरू परिवार का शुरू से ही विश्वसनीय चेहरा भी आंका जाता रहा है। इंदिरा गांधी ने शुरूआती दौर मे खुद प्रमोद तिवारी के समर्थन मे पहले चुनाव मे ही जनसभा की थी। 


राजीव गांधी के कार्यकाल मे प्रमोद तिवारी यूपी में कांग्रेस के कददावर रहे हैं। दस जनपथ मे भी प्रमोद तिवारी की मजबूत पकड़ गांधी नेहरू परिवार को लेकर उनके शुरूआती विश्वसनीय सियासी रिश्ते ही इस बार की भी कामयाबी का प्रभावी कारक बनकर उभरा। 


ऐसे मे पांच बार यूपी कांग्रेस विधानमण्डल दल के नेता का भी खिताब रखने वाले प्रमोद तिवारी पर यूपी मे पार्टी संगठन को आगामी लोकसभा चुनाव मे मजबूती से तैयार करने के साथ राजस्थान मे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव मे सफल चेहरे के रूप में कांग्रेस आलाकमान को उसका फैसला मुफीद हो सकेगा।



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