आखिर क्यों नही मिलावटी खाद्य पदार्थो पर प्रशासन का नहीं चल पाता चाबुक... | CRIME JUNCTION आखिर क्यों नही मिलावटी खाद्य पदार्थो पर प्रशासन का नहीं चल पाता चाबुक...
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आखिर क्यों नही मिलावटी खाद्य पदार्थो पर प्रशासन का नहीं चल पाता चाबुक...



गौरव तिवारी 

लालगंज, प्रतापगढ़। बड़े त्यौहारों पर स्थानीय प्रशासन एवं खाद्यान्न विभाग की लापरवाही के चलते मिलावटी मिठाईयों व खाद्य पदार्थो की मुनाफाखोरी पर अंकुश न लग पाना सोमवार को यहां आम चर्चा की गर्माहट लिए दिखा। 


रविवार की शाम कोतवाली तथा सीओ दफ्तर की नाक के नीचे कुछ लोगों ने एक मिनी ट्रक पर नकली मिठाईयों के अंदेशे में घेराबंदी की। 


शोरशराबा बढ़ने लगा तो बगल में खाकी की भी तन्द्रा टूट सकी। पुलिस स्थानीय लोगों के आक्रोश को कम करने के लिए मिनी ट्रक को कोतवाली ले गयी। 


पुलिस ने खाद्यान्न विभाग को सूचना दी पर घंटो जिले का खाद्य सुरक्षा विभाग भी कार्रवाई को न जाने क्यूं टालने की स्थिति मे दिखा। 


देर शाम जब सोशल मीडिया पर मामला गर्म हुआ और स्थानीय लोग भी कोतवाली गेट से टस से मस नही हो रहे थे तब खाद्यान्न विभाग की टीम कोतवाली पहुंची। 


मिनी ट्रक का ताला खुलवाया गया तो पालीथिन में खुली बाल्टियों में रसगुल्लों का खेप देख टीम भी कुछ देर के लिए चकरा गयी। 


इसके बाद खाद्य सुरक्षा अधिकारी जनार्दन सिंह ने टीम के साथ छेने के रसगुल्लों का सैम्पल लिया। टीम ने कबीर टेªडर्स के संचालक मिथलेश जायसवाल को भी कोतवाली बुलवाया और सैम्पल पर उसके हस्ताक्षर लिये। 


व्यापारी ने भी टीम के सामने रसगुल्ले मे आरारोट व पाउडर आदि मिलाये जाने का बयान दिया। खाद्य सुरक्षा अधिकारी भी सैम्पल लेकर यह कहकर चले गये कि रिर्पोट आने पर गुणवत्ता की जानकारी हो सकेगी। 


देर रात पुलिस ने भी मिठाई से लदी ट्रक को व्यापारी के सुपुर्द कर दिया। इसी कबीर टेªडर्स के गोदाम में बीते 2019 मे भी मिठाईयों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ था। 


तत्कालीन एसडीएम विनीत उपाध्याय ने उसे पकड़ा और उनके निर्देश पर कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज हुई। उस मामले मे भी सियासत की रंगत मिठाई की रंगत पर भारी पड़ी और कार्यवाही नक्कारखाने की तूती बनकर रह गयी। 


रविवार को भी कुछ स्थानीय सफेदपोश भी कोतवाली में मामले को हजम करने का हर जतन करते मशक्कत मे दिखे। अभी हाल ही में मिलावटी खाद्य पदार्थो के चलते उमापुर व बरिस्ता गांव के पूरे इनायत मे भी बड़ी संख्या में लोग बीमार होकर जीवन व मौत से जूझते दिखे थे। 


अब लोगों के जहन मे सवाल यह खटक रहा है कि इन सब घट रही घटनाआंे के बावजूद आखिर मुनाफाखोरी पर चाबुक चलाने के लिए प्रशासन को कहां से और किसका भय सताया करता है। 


चर्चा यह भी है कि मुनाफाखोर छोटे व्यापारियों को चोट पहुंचाते हुए सत्ता के मौसमी रंग के हिसाब से अपने को ढालते हुए आम आवाम की जिंदगी से बेपरवाह खिलवाड़ जारी रखा करते हैं।

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