आनंद गुप्ता
पलिया कला खीरी:शुक्रवार देर रात को सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज पलिया में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया गया।
विद्यालय प्रांगण में स्थित मां सरस्वती तथा दुर्गा माता के युगल मंदिर के समक्ष कुंज बिहारी भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ सायं काल 8:00 बजे से हुआ।
मां की आरती के पश्चात विद्यालय के 38 भैया बहनों ने गायन, काव्य पाठ, नृत्य, एवं अभिनय आदि के कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
10:30 बजे से 12:00 बजे तक विद्यालय के प्रबंधक रामबचन तिवारी ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला का मनोरम वर्णन किया।
उन्होंने एक भजन के माध्यम से भस्मासुर की कथा का मार्मिक चित्रण किया। कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता सम्पूर्णानन्द , आचार्य धनुषधारी , आचार्य वीरेंद्र बाजपेई तथा सुनील शुक्ला ने गीत व भजन के माध्यम से समा बांधने का प्रयत्न किया। सभी कार्यक्रम एक से बढ़कर एक थे।
भगवान श्रीकृष्ण के रूप में सजे हुई भैया बहन अलग ही प्रकार की मनमोहक छवि से सभी का ध्यान आकर्षण करते थे।
तेज वर्षा के बीच भी भक्तों को संख्या लगभग180 रही। जिसमें नगर के गणमान्य नागरिक मनोज सभासद नीतू सिंह प्रबंध कार्यकारिणी के चांद कुमार जैन उपाध्यक्ष निरंजन लाल अग्रवाल सुभाष दास तथा अभिषेक शुक्ला उपस्थित रहे।
सभी आचार्य बन्धु आचार्या भगिनी एवं कर्मचारी भैया - मैया का भी सपरिवार योगदान रहा।
कार्यक्रम का विद्यालय की वेबसाइट के माध्यम से सजीव प्रसारण भी हुआ जिससे नगर के अलग अलग 24 परिवारों ने आनन्द उठाया।
प्रधानाचार्य वीरेंद्र वर्मा ने आए हुए अतिथि महानुभावों का धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि आज हम उस कृष्ण कन्हैया का जन्मदिन मना रहे हैं जो 16 कलाओं से पूर्ण व्यक्तित्व का अवतार था।
उनके जीवन में संयम की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। जिसमें पहली अशिष्टता पर ही सर कलम करने की क्षमता हो, इतनी शक्ति के बाद भी 100 गालियां खाने का संयम कोई भगवान कृष्ण से सीखे। चक्रवर्ती सम्राट होने के बाद भी अपने गरीब सखा सुदामा को भूल नहीं पाया।
उदारता की पराकाष्ठा 2 मुट्ठी तन्दुल खाकर 2 लोक दान में दे दिए। राजनीति में कूटनीतिक पराकाष्ठा से युक्त व्यक्तित्व इतनी सब अच्छी बातों में अगर हम कुछ का ही अनुकरण कर पाते हैं तो वास्तव में भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाने का संयोग हमारे लिए शुभ फलदाई होगा।
जिससे हमारा व्यक्तिगत जीवन भी सन्मार्ग पर सकारात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित हो सके। जेल से जंगल की बीच की यात्रा कितनी कष्टकारी रही। उसके बावजूद भी भगवान श्री कृष्ण सभी से हमेशा मुस्कुराकर ही मिले।
कार्यक्रम का समापन रात्रि 12:45 पर प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
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