पुलिस की साठ गांठ से गांव व शहरों में धड़ल्ले से धधक रही कच्ची शराब की भट्ठियां | CRIME JUNCTION पुलिस की साठ गांठ से गांव व शहरों में धड़ल्ले से धधक रही कच्ची शराब की भट्ठियां
Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

पुलिस की साठ गांठ से गांव व शहरों में धड़ल्ले से धधक रही कच्ची शराब की भट्ठियां



आनंद गुप्ता 

पलिया कलां खीरी।  शराब उत्पादन के अवैध कारोबार क्षेत्र में अपनी जड़े जमाता जा रहा है। जगह-जगह कुटीर उद्योग की तरह कच्ची शराब बनाने और बेचने का धंधा फलफूल रहा है।


इसकी रोकथाम के लिए आबकारी विभाग और पुलिस की कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रह जाती है। 


यही कारण है कि क्षेत्र के तीन दर्जन से अधिक स्थानों पर कच्ची दारू का उत्पादन रुकने का नाम नहीं ले रहा है।


 इन गांवों और शहरों में साठ गाठ से बिकती हैं कच्ची दारू


क्षेत्र के बंसी नगर, पटिहन, लालपुर, ढाका, पकरिया. नगला,पतवारा, पुरवा, बिजौरिया, खैराना, पुरवा, कोठिया, सहित तीन दर्जन से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां कच्ची शराब की फैक्ट्रियां धधक रही हैं। 


कच्ची शराब के उत्पादन करने वाले धंधेबाजों ने अपना मुख्य ठिकाना नाला और कूड़ा नदी का तटवर्ती क्षेत्र चुन रखा है। 


पूरी रात कच्ची दारू उगलने वाली भट्ठियां धधकती नजर आती हैं। रात भर का समय गुजरने के बाद एक-दो लीटर नहीं, बल्कि सैकड़ों लीटर कच्ची शराब तैयार हो जाती है। तैयार हो चुकी कच्ची दारू की बिक्री अपने तय स्थान और समय पर होती है। 


उत्पादन के बाद झुग्गी-झोपड़ियों पर कच्ची शराब की बिक्री आम बात हो चुकी है। कारोबारियों ने आबकारी विभाग को चकमा देने के लिए अपनी कच्ची दारू का दाम आधा कर दिया है। इससे जहां ठेके की दुकानों पर 80 से 90 रुपये शीशी शराब मिलती है।


वहीं कच्ची दारू मात्र बीस रुपये में खुलेआम बेची जा रही है। भारी मात्रा में बन रही कच्ची शराब की लत में इन दिनों युवा वर्ग आता जा रहा है।


 आबकारी अधिकारी कहते हैं कि धंधे में शामिल लोगों पर अभियान चला कर कार्रवाई की जाती है। 


लेकिन जो हलके मे पुलिया काम कर रहे हैं उन्हीं पर सवाल खड़ा हो रहा है 


कच्ची शराब के माफिया बिना सेटिंग के नहीं करते धंधा


सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया है कि पलिया के अधिकांश गांवों व क्षेत्रों में कच्ची शराब माफिया बिना सेटिंग और लेन देन के काम नहीं कर सकते। 


जबकि उसी क्षेत्र में पुलिस की गस्त भी होती रहती है तो भला कोई इनसे बचकर कैसे कच्ची के धंधे को अंजाम दे सकते है यही कारण है कि जब कोई बड़ी घटना या उच्च अधिकारियों के आदेश मिलते हैं तो यही लोग कार्रवाई कर अपनी अपनी खाकी वर्दी को बचाने में लग जाते हैं ।


यही नहीं कच्ची माफियाओं के पकड़े जाने के बाद भी खेल होता है और माफियाओं को बढ़ावा मिल जाता है। 


इसी वजह से यह धंधा सदियों से चलता आ रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे