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निष्काम भाव से होती है परमात्मा के दर्शन की अनुभूति:साध्वी मेरूदेवा



कुलदीप तिवारी 

लालगंज, प्रतापगढ़। क्षेत्र के सरायलालशाह दीवानगंज में दिव्य जागृति संस्थान द्वारा आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन आशुतोष जी महराज की परम शिष्या भागवत मर्मज्ञ साध्वी मेरुदेवा ने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति निष्काम भाव व सच्चे मन से आराधना करने पर ही सम्भव है।


उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। 


कथा व्यास ने पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि पूतना राक्षसी ने श्रीकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पूतना का वध कर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती है। 


उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर, गोमूत्र से भगवान को स्नान कराती है। उन्होने कहा कि सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। 


गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी देवताओं की सेवा हो जाती है।पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। 


कथा व्यास ने कहा कि वर्तमान पीढी को धर्म की राह पर चलने के लिए सदैव प्रेरित करना बुजुर्गों का कर्तव्य है। युवाओं और बच्चों को गीता, भागवत ,रामायण पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे तो आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। 


कथा के संयोजक त्रिजुगी नारायण पाण्डेय ने श्रद्धालुआंे की ओर से कथाव्यास का सारस्वत सम्मान किया। कथा के दौरान भजन की प्रस्तुतियों से श्रद्धालु मंत्रमुग्ध नजर आये।


 इस मौके पं दिलीप पान्डेय, रामकृष्ण पांडेय, आनंदप्रकाश त्रिपाठी, अतुल, रमेश मिश्र, श्रीप्रकाश मिश्र, रमेश मिश्र, गिरीश तिवारी प्रभुदयाल, शिवम त्रिपाठी आदि रहे।

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