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Sant kabir nagar सोशल ऑडिट टीम जांच व बैठक में कर रही है नियमो की अनदेखी



नरायनपुर, नटवा एवं नगपुर गांव में उड़ी नियमों की धज्जियां
आलोक बर्नवाल

संतकबीरनगर। मेंहदावल ब्लॉक विकास खंड के ग्राम पंचायतों का वर्तमान में सोशल ऑडिट टीम द्वारा जमीनी जांच के साथ ही ग्रामीणों संग बैठक किया जा रहा है। जिससे मनरेगा से हुए विकास कार्यो की जमीनी हकीकत जानी जा सके। लेकिन कुछ जगहों पर जांच के नाम पर खानापूर्ति किया जा रहा है। सोशल ऑडिट जांच टीम खुद उड़ा रही है नियमो की धज्जियां। नियमों के विपरीत बैठक करवाकर खानापूर्ति कर रही है। अपने सभी उद्देश्य के नियमो को ठंडे बस्ते में डाल कर कोरम पूरा करने में व्यस्त है। ऐसे कैसे होगा पूरा होगा शासन की मंशा। इन जांच करने वाले टीम के लोगो ने शासन के बनाये गए नियम संगत जांच एवं बैठक के कार्य को पूरा नही किया जाता है। इसके पालनहार ही इसका खुलकर उल्लंघन कर रहे है। जबकि इसके उद्देश्य पारदर्शिता, सहभागिता व जवाबदेही के हर नियम का मखौल उड़ाया जा रहा है। केवल कागजी खानापूर्ति ही किया जा रहा है। जांच के दौरान नियमतः ग्राम सचिव, टीए के साथ ही वीडियो रिकॉर्डिंग आदि का पालन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही टीम के सदस्यों की भी जवाबदेही बननी चाहिए क्योंकि ऑडिट टीम का कार्य केवल खानापूर्ति करना ही शेष रहा गया है। इसी कड़ी में मेंहदावल ब्लॉक के ग्राम पंचायत नरायनपुर, नटवा एवं नगपुर में बैठक होने के दौरान न तो वर्तमान ग्राम सचिव अथवा कोई ब्लॉक कर्मी ही उपस्थित रहा और न कोई वीडियो रिकॉर्डिंग आदि के कार्य को पूर्ण किया गया। इसके साथ ही जिम्मेदार ब्लॉक प्रशासन के कर्मचारी भी बैठक से नदारद रहे। बैठक के दौरान अधिक से अधिक ग्रामीणों की उपस्थिति होनी चाहिए। जबकि महज चंद लोगो के बीच ही सोशल ऑडिट टीम द्वारा बैठक किया जा रहा है। ग्राम में हो रहे सोशल ऑडिट की बैठक के दौरान महज चन्द गिने चुने लोगो से पूछकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रही है। ऑडिट के किसी भी नियम का पालन करवाने में टीम नाकाम साबित रही है। ग्राम के अधिकांश लोगो को पता ही नही रहता है कि ग्राम में सोशल ऑडिट की बैठक होनी है। जिससे सोशल ऑडिट टीम की लापरवाही से जांच महज दिखावा बनकर रह गयी है। जिससे यह प्रतीत होता है कि सोशल ऑडिट टीम केवल खानापूर्ति कर रही है। जबकि हर जगह पर रोजगार सेवक के साथ ही ब्लॉक कर्मियों का भी जांच टीम के समक्ष प्रस्तुत होकर मनरेगा से हुए विकास कार्यो को लेखा जोखा देना होता है। जबकि बीते वित्तीय वर्ष के लेखा जोखा के नाम पर बजही गांव में सोशल ऑडिट टीम द्वारा केवल कागजी खानापूर्ति किया गया है। जिससे यह सोशल ऑडिट जांच केवल कोरम तक रह गया है। जबकि जहां पर बैठक होती है वहा पर बैनर पर लिखा पारदर्शिता, सहभागिता एवं जवाबदेही का नियम दिखावा मात्र रह चुका है। जबकि बैठक के नाम पर केवल सरकारी धन का दुरुपयोग ही हो रहा है। नरायनपुर में भी सोशल ऑडिट जांच व बैठक की उड़ी धज्जियां जबकि नटवा में दोपहर बीतने तक कोई भी बैठक नही आयोजित की गई थी। जबकि नगपुर में बैठक के नाम पर एक दर्जन लोगों के बीच ही सोशल ऑडिट पूर्ण किया जा रहा था। ग्राम प्रधान व रोजगार सेवक के अलावा कोई भी ब्लॉक कर्मी उपस्थित नही रहा। साथ ही नरायनपुर व नगपुर में प्राथमिक विद्यालय के परिसर में बैठक करवाने से बच्चों की पढ़ाई भी बाधित रही जबकि जिम्मेदार लोग इसको लेकर मूकदर्शक बने रहे।
अब सोशल ऑडिट जांच प्रधान, ब्लॉक कर्मचारी एवं सोशल ऑडिट टीम की भागीदारी को सुनिश्चित कर रही हैं और दिखावा मात्र रह गया है।

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