Type Here to Get Search Results !

Bottom Ad

राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय चेतना के अग्रदूत थे : डा०विनोद त्रिपाठी



वेदव्यास त्रिपाठी 

खबर प्रतापगढ़ से है जहां आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत भारतीय भाषा दिवस पर सुब्रमण्यम भारती जी की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गयी।


उच्च प्राथमिक विद्यालय, कांपा मधुपुर, बाबा बेलखरनाथ धाम, प्रतापगढ में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान सीताराम सरोज और संचालन प्रभारी राजेन्द्र प्रताप सिंह ने किया। 


विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष डा०विनोद त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्र कवि भारती जी का बनारस प्रवास की अवधि में हिन्दू अध्यात्म व राष्ट्रप्रेम से साक्षात्कार हुआ। 


उन्नीसवीं शताब्दी के आखिर में वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में पूरी तरह जुड़ चुके थे और पूरे भारत में होने वाली आजादी की सभाओं में भाग लेना आरम्भ कर दिया था। स्वामी विवेकानन्द के विचारों, भगिनी निवेदिता, अरविन्द और वंदे मातरम् गीत ने भारती के भीतर आजादी की भावना को और पल्लवित किया। 


वरिष्ठ शिक्षक देवानन्द मिश्र ने बताया कि भारती जी 1908 ई० में पांडिचेरी गए, जहां उन्होंने दस वर्ष वनवासी की तरह बिताए। इसी दौरान उन्होंने कविता और गद्य के जरिये आजादी की बात कही। 


‘साप्ताहिक इंडिया’ के द्वारा आजादी की प्राप्ति, जाति भेद को समाप्त करने और राष्ट्रीय जीवन में नारी शक्ति की पहचान के लिए वे जुटे रहे।इस मौके पर विघालय प्रबन्ध समिति अध्यक्ष राम मिलन वर्मा, विज्ञान शिक्षक मो० शुएब, संजीव दूबे और अनुज पटेल आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 

Below Post Ad

5/vgrid/खबरे