निवेदन करने से बात बने तो आग्रह करना भगवान राम से सीखो:कथावाचक रमेश जी शुक्ल | CRIME JUNCTION निवेदन करने से बात बने तो आग्रह करना भगवान राम से सीखो:कथावाचक रमेश जी शुक्ल
Type Here to Get Search Results !

Action Movies

Bottom Ad

निवेदन करने से बात बने तो आग्रह करना भगवान राम से सीखो:कथावाचक रमेश जी शुक्ल



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज के रामलीला मैदान में चल रहे श्रीराम कथा महोत्सव व पर्यावरण सुरक्षा सप्ताह में कथावाचक रमेश जी शुक्ल ने कहा कि भगवान श्रीराम भी किसी कार्य को करने के पहले भगवान की आराधना करते थे। इसलिए कोई भी काम करने के पूर्व भगवान की आराधना करना चाहिए। 



अगर कोई बलवान है तो बल का प्रयोग करने के पहले उसे सोंचना चाहिए। अगर निवेदन करने से बात बने तो आग्रह करना भगवान राम से सीखो। 


जैसे समुद्र देवता से भगवान श्रीराम ने तीन दिन तक आग्रह किया। उसके बाद जब भगवान ने बाण उठाया तब समुद्र देवता प्रकट हुए। शक्ति का सदुपयोग करना, शक्ति को संभालना चाहिये।



 भगवान श्रीराम शक्तिशाली थे मगर शक्ति का उपयोग नही करते थे। समय आने पर करते थे। जब हम संगठित हो जाएं तो कोई भी कार्य असम्भव नही है। जब तक बिखरे रहोगे, संगठित नही रहोगे तबतक तोड़े जाओगे। इस भारत वर्ष में कोई भी कमी नही पर लोग संगठित नही है यह कमी है। 


भगवान को लंका जाना था तो बानर सेना संगठित हुई थी। हम तो इंसान है। धर्म, परम्परा जातियों के नाम से बंटे न रहो, हमारी एक ही जाति केवल हिन्दू हैं। भारत का हर बच्चा जटायु हो जाय तो हर मां, बहन, बेटी की इज्जत बचेगी। 100 साल जीने से अच्छा है भगत सिंह की तरह 23 साल जिओ। अमर हो जाओगे। 


कथावाचक ने कहा कि इन बातों को ध्यान रखना चाहिए मतंग जैसा गुरु होना चाहिए आपको सद्गुरु चाहिए तभी राम जी आएंगे। पांच सूत्र अपनाने चाहिए गुरु के बचनों पर विश्वास करना, गुरू से प्राप्त मन्त्र का जाप, मन के आंगन को बहारना यानी मन को साफ रखना जगत के मालिक तभी आएंगे, कर्मफल होना चाहिए। 


उन्होंने कहा राम जी की धोबी ने बुराई किया था, सबरी बेर लाई थी यह कहीं लिखा नही है। बल्कि कन्द मूल फल लिखा है लोग जबरन बोल रहे हैं। भगवान केवल प्रेम के भूखे होते है। सबरी के प्रेम को राम जी ने खाया था। भगवान की भक्ति करने के लिए नौ प्रकार की भक्ति होती है। सुनो, गुनो फिर चुनो यह करना चाहिए। 


नवधा भक्ति में एक भी भक्ति करने से भगवान प्रसन्न होते है। जिसमें सन्त का संग, कथा में रति, गुरु की सेवा, भगवान का गुणगान, मन्त्रजाप, भक्ति कर्म, बिरति बहु कर्म, सन्तोष, सरल जीवन व छल कपट से दूर होना चाहिए। 


कार्यक्रम का संचालन पंडित निर्मल शास्त्री ने किया। कथा में कटरा बाजार के विधायक बावन सिंह, अमित सिंघानिया, मैन बहादुर सिंह, अशोक सिंघानिया, पवन कुमार ओझा, राजेश कुमार सिंह सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Top Post Ad



 




Below Post Ad

Comedy Movies

5/vgrid/खबरे