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करनैलगंज के रामलीला मैदान में चल रहे श्री राम कथा महोत्सव में सीता स्वयंवर का वर्णन



रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। करनैलगंज के रामलीला मैदान में चल रहे श्री राम कथा महोत्सव में भगवान श्रीराम के संस्कार को अपनाने वाले व्यक्ति के जीवन मे संसार की कोई भी समस्या, दुःख, तकलीफ न आने की कथा का वर्णन किया गया। 



अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक रमेश जी शुक्ल ने इस मौके पर धनुषयज्ञ की कथा कहते हुए कहा कि राजा जनक ने जब अपनी पुत्री सीता के स्वयंबर के लिए धनुषयज्ञ का आयोजन किया। सीता स्वयंबर में राजा जनक ने बड़े-बड़े राजाओ को निमंत्रण पत्र भेजा। 


कई देश देशांतर के राजा, गन्धर्व, रक्षस मनुष्य का रूप धारण कर के स्वयंबर में आये। जनक ने सीता स्वयम्बर के लिए लिया गया अपना प्रण उपस्थित राजाओ को सुनाया। जो भी राजा की शिव धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ अपनी पुत्री सीता का विवाह करूंगा। 


यह सुनकर तमाम राजाओं ने सीता स्वंयम्बर में जनकपुर पहुँचकर जोर आजमाइश की। धनुषयज्ञ में पहुँचे राजाओं ने धनुष तोड़ने के लिए जोर आजमाइश की मगर कोई भी राजा शिव धनुष को भंग न कर सका। 


राजा जनक की चुनौती पूर्ण बात सुनकर गुरु सहित राजकुमार लक्ष्मण गुस्से से तमतमा उठे। इसी बात पर ऋषि विश्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान रामचन्द्र जी उठते है  और बिजली की चमक मात्र पल में शिव धनुष को पकड़ते ही शिव धनुष टूट जाता है। 


धनुष भंग होने के बाद राजा जनक अपने अपनी पुत्री सीता का विवाह राम के साथ करते है। सीता जी श्रीराम के गले में जयमाला डालती है। जयमाला डालते ही देवता लोग पुष्प वर्षा करते है। 


इस कथा को सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। इस मौके पर भारी भीड़ रही। संचालन पंडित निर्मल शास्त्री ने किया। इस मौके पर विधायक अजय सिंह, पूर्व चेयरमैन रामजीलाल मोदनवाल, अमित सिंघानिया, मोहित पांडेय, अवधेश गोस्वामी, राजेश सिंह, चंद्रशेखर गोस्वामी, कन्हैयालाल वर्मा सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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