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पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से किया किनारा, कहा कि मौर्य के विवादित बयान से सपा का कोई लेना देना नहीं



रजनीश /ज्ञान प्रकाश                                    करनैलगंज(गोंडा)। किसी धर्म अथवा किसी पवित्र ग्रंथ को बिना समझे कोई टिप्पणी करना अविवेक पूर्ण है। श्रीराम चरित्र मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए विवादित बयान पर सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह उनका निजी विचार हो सकता है। 


समाजवादी पार्टी का इससे कोई लेना देना नही है। राजनीति में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करना चाहिए। देश में सभी धर्मो का सम्मान और सभी महान लोगो के प्रति श्रद्धा ही हमारा संस्कार है। 


उन्होंने कहा कि राम चरित्र मानस के रचयिता महा कवि गोस्वामी तुलसीदास ने पूरे विश्व को प्रभु श्रीराम के चरित्र से परिचित कराया। भगवान श्रीराम के कृतित्व पर सवाल उठाना एन अनौचित्य पूर्ण है।


 जिस दोहे को आधार बना कर राजनीतिक लोग सवाल खड़ा कर रहे है वह उसके अर्थ को नही समझ रहे है। रामचरित्र मानस अवधी भाषा में है। अवध की बोली में "ताड़न" शब्द का देखना होता है। सामाजिक विकास का संदेश इस चौपाई में निहित है। 


इसका उपयोग राजनीति चमकाने के लिए नही उसे समझने के लिए करना चाहिए। श्री रामचरित्र मानस को पूरी तरह समझ कर ही कोई वक्तव्य दिया जाए वही उचित होगा। गोस्वामी जी ने भगवान श्री राम के चरित्र में शबरी के जूठे बेर और निषाद राज के संबंधों का भी उल्लेख किया है इसे भी पढ़ा जाना चाहिए।


 भगवान श्रीराम चरित्र का समग्र ज्ञान न रखने वालो को उन पर टिप्पणी नही करना चाहिए श्री राम चरित्र मानस का अध्ययन स्मपूर्णता में करना उचित होगा। 


प्रभु श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम थे उन पर टिप्पणी से सम्पूर्ण विश्व के कई करोड़ लोगो को आस्था आहत होती है। समाज में जो जिम्मेदार लोग है उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वह लोगो की भावनाओं एवं धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करेंगे।

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