फजल अली के बलिदान दिवस पर शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधि दे ध्यान :समाजसेवी एवं लेखक चित्रकार जगदंबा प्रसाद गुप्ता | CRIME JUNCTION फजल अली के बलिदान दिवस पर शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधि दे ध्यान :समाजसेवी एवं लेखक चित्रकार जगदंबा प्रसाद गुप्ता
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फजल अली के बलिदान दिवस पर शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधि दे ध्यान :समाजसेवी एवं लेखक चित्रकार जगदंबा प्रसाद गुप्ता



मोहम्मद सुलेमान/ यज्ञ नारायण त्रिपाठी 

मोतीगंज गोंडा! देश की आजादी के लिए अपनी जान की आहुति व कुर्बानी देने वाले फजल अली की बलिदान दिवस रविवार को उत्तर प्रदेश के जनपद गोंडा के थाना मोतीगंज क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम सभा राजगढ़ के मजरा मिर्जापुरवा निवासी फजल अली ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाते हुए 12 अट्ठारह सौ सत्तावन में शहीद हुए थे जिनका शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधि कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं उनके गांव तक जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं अधिकारियों के उपेक्षा का शिकार है शहीद फजल अली का गांव। गोंडा जनपद के मोतीगंज बाजार निवासी जगदंबा प्रसाद गुप्ता समाज सेवी लेखक एवं चित्रकार ने बताया कि हिंदुस्तान को आजाद कराने में हमारे ही जिला के फजल अली जो राजा देवी बक्श सिंह के खास और सिपहसालार थे उन्होने मेन भूमिका निभाई और अंग्रेजों से लड़ाई की और अंग्रेजों की सेना को परास्त कर दिया और अपनी देश को आजाद कराया। जिसकी गूंज हिंदुस्तान तो क्या विदेशों में गूंजी उन्हें स्वतंत्रता सेनानी शहीद फजल अली का नाम शायद आज इतिहास के पन्ने से गायब है इसीलिए उक्त गांव आज भी अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार है जगदंबा प्रसाद ने आगे बताया कि फजल अली ने 10 फरवरी  अट्ठारह सौ सत्तावन को सैकड़ों अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया और उनके सर को काटकर एक पीपल के पेड़ पर लटका दिया था उसी के बाद गुस्साए अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दे दिया और 12 फरवरी अट्ठारह सौ सत्तावन को अंग्रेजी सेना ने उन्हें पकड़कर अपने तोप के मुंह के सामने खड़ा कर उन्हें उड़ा दिया जिससे उनके चिथड़े उड़ गए यह खबर जब उत्तर प्रदेश के जनपद गोंडा के मोतीगंज से 5 किलोमीटर दूर उनके घर पहुंची तो घर के लोगों ने वहां पहुंचकर शाहिद फजल अली के कई टुकड़े हुए शव को बटोर कर अपने निवास स्थान राजगढ़ मिर्जापुरवा जहां उन्हें गांव के ही कब्रिस्तान पर दफन किया गया जगदंबा प्रसाद ने शासन-प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि उनके गांव में शहीद स्मारक बनाया जाए वह देश के लिए शहीद होकर अमर हो गए थे लेकिन आज उनके परिवार को या उनके जन्मस्थली को कोई पूछने वाला नहीं है जिन का बलिदान दिवस रविवार 12 फरवरी 2023 को उनके परिवार के लोग मनाते हैं लेकिन यहां पर कोई जनप्रतिनिधि या शासन प्रशासन के अधिकारी नहीं आते हैं उन्होंने सभी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया है!

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