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वजीरगंज में उर्वरक प्रबंधन पर दी गई जानकारी



डॉ ओपी भारती 

वजीरगंज गोण्डा:चंबल फर्टिलाइजर्स एण्ड केमिकल्स लिमिटेड द्वारा आज दिनांक 24 मार्च 2023 को ग्राम परसहवा अशोकपुर विकासखंड वजीरगंज जनपद गोंडा में एक फसल संगोष्ठी-क्राप सेमिनार आयोजित की गई । किसान गोष्ठी का शुभारंभ कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा के प्रभारी अधिकारी डॉ. पीके मिश्रा द्वारा किया गया । उन्होंने किसानों से संतुलित उर्वरक प्रयोग करने का आह्वान किया । फसलों में मृदा परीक्षण की संस्तुति के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें । भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा कम होने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो चुकी है  । अन्धाधुन्ध रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा  स्वास्थ्य एवं मानव का स्वास्थ्य खराब हो रहा है एवं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है । इसे बचाने की नितान्त आवश्यकता है । संतुलित उर्वरकों के प्रयोग से खेती की लागत भी कम होगी तथा भरपूर पैदावार मिलेगी । मृदा में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा  0.3 से  0.5% ही है जो चिंता का विषय है । जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए कार्बनिक पदार्थों का प्रयोग करना नितांत आवश्यक है । फसल अवशेष जलाने के बजाय इनका प्रबन्धन करें । फसल अवशेष के प्रबन्धन के लिए पूसा डिकम्पोजर का प्रयोग बहुत जरूरी है । पूसा डिकम्पोजर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के द्वारा विकसित है । इसकी 100 मिलीलीटर मात्रा व दो  किलोग्राम गुड़ को 200 लीटर पानी में घोल बनाया जाता है तथा घोल को सुबह-शाम लकड़ी के डंडे से 2 से 3 मिनट तक  चलाते हैं । 5 दिन में घोल का रंग बदलकर क्रीमी हो जाता है । इस घोल का छिड़काव फसल अवशेष पर करने पर फसल अवशेष 15 दिन में सड़कर खाद में परिवर्तित हो जाते हैं । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान ने गन्ना की खेती में खेत की तैयारी, गन्ना की उन्नतशील प्रजातियां, खरपतवार, सिंचाई एवं उर्वरक प्रबंधन एवं फसल सुरक्षा की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि गन्ना प्रजाति सीओ  0238 में उकठा रोग की समस्या गंभीर है । इसके स्थान पर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के द्वारा विकसित नवीन प्रजाति कोलख 94184 की बुवाई करें । यह अगेती प्रजाति जलभराव तथा लाल सड़न रोग के प्रति सहनशील है । इस प्रजाति की उपज क्षमता 300 कुंतल प्रति एकड़ है । इसका बीज किसान भाई भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ, गन्ना विकास विभाग या चीनी मिल से प्राप्त कर सकते हैं । गन्ना की बुवाई ट्रेन्च विधि से करने पर अच्छी पैदावार मिलती है । दो पंक्तियों के बीच खाली जगह में  सहफसली खेती कर किसान भाई अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं । ट्रेन्च विधि से बोये गए गन्ने के बीच खाली जगह में इस समय किसान भाई उर्द  एवं मूंग की बुवाई कर सकते हैं । उर्द एवं मूंग की बुवाई के लिए बीज की मात्रा 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें । 35 किलोग्राम डीएपी प्रति एकड़ की दर से खेत की तैयारी करते समय या बुवाई करते समय प्रयोग करें । दलहनी फसलों में गंधक का प्रयोग अवश्य करें । गंधक की 10 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ की दर से जरूरत होती है । दलहनी फसलों की बुवाई करने से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है । दलहनी फसलें वायुमंडल में पाई जाने वाली नत्रजन का स्थिरीकरण करके पौधे को उपलब्ध कराती हैं । ब्रिजेन्द्र कुमार यादव उपप्रबंधक चंबल फर्टिलाइजर्स एण्ड केमिकल्स लिमिटेड ने कम्पनी के उत्पादों उत्तम यूरिया, उत्तम डीएपी, उत्तम एमओपी,उत्तम स्टेम्बो,उत्तम आनविक्स,उत्तम पेवटा,उत्तम सुपराइजा आदि के प्रयोग की जानकारी दी । उन्होंने जल विलय उर्वरकों एवं जैव उर्वरकों की  भी जानकारी दी । सौरभ मिश्रा उत्तम ब्रांड बंधु ने कंपनी द्वारा किए जाने वाले तकनीकी कार्यों एवं कृषक हित में किये जाने वाले कार्यों की जानकारी दी । इस अवसर पर प्रगतिशील कृषकों प्रदीप पांडेय, सन्तोष पांडेय, शम्भूनाथ गोस्वामी, अमरनाथ, राजेश, श्रीमती अनीता पांडेय, श्रीमती सुमन एवं शीला आदि ने प्रतिभाग कर खेती की तकनीकी जानकारी प्राप्त की ।

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