कर्नलगंज:किसके गले में होगा जीत का हार,किसे मिलेगी कुर्सी? आंकड़ों में उलझा प्रत्याशियों का दांव | CRIME JUNCTION कर्नलगंज:किसके गले में होगा जीत का हार,किसे मिलेगी कुर्सी? आंकड़ों में उलझा प्रत्याशियों का दांव
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कर्नलगंज:किसके गले में होगा जीत का हार,किसे मिलेगी कुर्सी? आंकड़ों में उलझा प्रत्याशियों का दांव

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रजनीश / ज्ञान प्रकाश 

करनैलगंज(गोंडा)। मतदान के बाद मतदान केंद्र व बूथ वार पड़े मतों में अंकों के जोड़तोड़ का दौर तेजी से चल रहा है। 


प्रत्याशी व उनके समर्थक मतों की अंकगणित अपने अपने पक्ष में बैठाने की जुगत में लग गए हैं। नए विस्तार वाले गांवों के मतदाताओं के मतो पर भाजपा प्रत्याशी के किस्मत का फैसला होगा। 


सभी की निगाहें ग्रामीण मतदाताओं के मतों पर टिक गई है। हालांकि भाजपा व सपा प्रत्याशी अपनी अपनी जीत की दावेदारी कर रहे हैं। 


करनैलगंज नगर पालिका परिषद के चुनाव में नए परिसीमन के बाद जो परिस्थितियां सामने आई उसमें चुनाव को हिंदू मुस्लिम अलग-अलग करके चुनाव लड़ने का प्रयास किया गया, मगर ऐसा नहीं हुआ। 


भाजपा प्रत्याशी रामलली   पत्नी रामजीलाल मोदनवाल ने मुस्लिम परिवारों में भी सेंध लगाई है वहीं सपा प्रत्याशी शमीम अच्छन ने हिंदू परिवारों में भी वोट काटा है। जिस पर चुनावी गणित लगा पाना लोगों के लिए कठिन साबित हो रहा है। 


क्योंकि इसके पूर्व करनैलगंज नगर पालिका में लगभग आबादी 60 प्रतिशत मुस्लिम व 35 प्रतिशत हिन्दू एवं 5 प्रतिशत सिख समुदाय के रूप में थी। मगर नगर पालिका परिषद का नया विस्तार होने के बाद  लगभग 48 प्रतिशत और 52 प्रतिशत  का आंकड़ा हो गया। 


जिसमें 48 प्रतिशत हिंदू व सिख और 52 प्रतिशत मुस्लिम के हैं। भाजपा प्रत्याशी और क्षेत्रीय विधायक अजय सिंह ने हिंदू बनाम मुस्लिम का दांव चलाने का प्रयास नहीं किया मगर अन्य प्रत्याशियों ने हिंदू-मुस्लिम बांटकर चुनाव कराने का प्रयास किया। 


मतदान के दिन परिस्थितियां बिल्कुल अलग दिखाई दी। मुस्लिम मोहल्लों के मत भी भारतीय जनता पार्टी को मिले और हिंदुओं की घनी आबादी में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रजिया खातून को मत मिला। 


नए परिसीमन वाले गांव को देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी वहां से भारी पड़ रही है। उधर नगर के पुराने हिस्से में समाजवादी पार्टी भारी पड़ रही है। भारतीय जनता पार्टी नए परिसीमन वाले गांव के आधार पर अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है वहीं सपा प्रत्याशी पुराने नगर क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य मतों की संख्या के आधार पर अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है। सिख समुदाय ने भाजपा का साथ दिया। 


हालांकि सभी प्रत्याशियों की किस्मत बैलट बॉक्स में बंद है। अब देखना यह है कि 13 मई को इसके गले में जीत का हार पढ़ने वाला है।

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