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ऐसा कोई पैमाना नहीं जिससे सरकार की अजमत को नापा जा सके



अशफाक आलम 

गौरा चौकी (गोण्डा)जिस रसूल की अजमत के कसीदे फरिश्ते बयान करते हों जिसकी मदह सराई कुरान की आयतें बयान करती हों जिसकी रिफअत व बुलंदी तक जिब्रील अलैहिस्सलाम जैसे जलीलुलु कदर फरिश्ते की ना हो ऐसे रसूल की अज़मतों को नापने का क्या पैमाना हो सकता है। यह बातें मुकर्रिरे खुसूसी अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद फारान रजा खान हशमती ने कही।



 

उन्होंने अजमत ए रसूल पर खिताब करते हुए कहा की हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का वाकया कितना मशहूर है कि आपने तजल्ली ए इलाही को सुई की नोक का 1000 वां हिस्सा दिखाया गया था ।


जिसकी वजह से हजरत मूसा अलैहिस्सलाम का दीदार कर पाने की लोगों में ताब नहीं थी फिर सोचिए कि मेराज के मौका पर हमारे आका ने अल्लाह रब्बुल इज्जत से किस तरह मुलाकात की होगी इससे आपकी अजमतों का अंदाजा लगाया जा सकता है और एक आम इंसान और नबी की जात में फर्क का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। 



उन्होंने हजरत उमर फारूक रजी अल्लाहु ताला अनहु के हवाले से हदीस की रोशनी में खिताब करते हुए बताया कि एक दफा आप अपने सहाबा को खिताब फरमा रहे थे जो फज्र शुरू होकर मगरिब तक जारी रहा आप के बाद फारूक ए आजम ने कहा कि रोजे अव्वल से लेकर सुबह कयामत की तमाम मालूमात आपने बयान कर दिया और जितने भी सहाबा इस महफिल में मौजूद रहे इन मालूमात से बहरावर हो गए उन्होंने कहा कि इमाम इशको मोहब्बत सरकार आला हजरत ने रसूल ए पाक अहलेबैत और सहाबा केराम व औलिया ए कराम कीअजमतों को बयान किया है ।



और यही काम शेर बेशये अहले सुन्नत ने भी अंजाम दिया है इसी काम को हम हशमती लोग भी अंजाम दे रहे हैं,और सुबहे कयामत तक करते रहेंगे , अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद फरजान रजा खान हशमती ने भी खिताब किया और ऐलान किया कि हम हशमती लोग दुश्मनाने इस्लाम और दुशमनाने रसूल,दुशमनाने अहलेबैत और दुशमनाने साहाबा व औलिया अल्लाह से कभी दोस्ती नहीं कर सकते,



 उनके खिताब से कबल ऑल इंडिया नातिया मुशायरा में यके बाद दीगर तकरीबन दर्जनभर से भी ज्यादा देश विदेश के कोने-कोने से आने वाले शोराए इस्लाम अपने-अपने मखसूस लबों लहजे में नात व मनकबत के नजराने पेश किए।



 झारखंड से आए मशहूर नात ख्वां अरशद इकबाल ने' अब तो बस एक ही धुन है कि मदीना देखूं, सुना कर पूरी महफिल को झूमने पर मजबूर कर दिया उनके अलावा अंबर मुशाहिदी नुरुल हुदा नेपाली, जमील अहमद गोंडवी, अकमल मुशाहिदी, मिर्जा सिबतैन रजा बेग हशमती, तरन्नुम गोंडवी, इरफान हशमती, मौलाना अली अहमद हशमती, मेहंदी हसन हशमती समेत शोराए कराम ने अपने अपने कलाम पेश किए जिन्हें लोगों ने खूब इनाम से नवाजा,,



 प्रोग्राम की सरपरस्ती करते हुए बुजुर्ग आलिम ए दीन अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद नासिर रजा खान हशमती ने आखिर में नमाज की पाबंदी करने और खुश अकीदा  मुसलमान बनकर जिंदगी गुजारने पर जोर देते हुए इजतिमाई दुआ कराई,




 प्रोग्राम की सदारत अलहाज कारी शर्फुद्दीन खान हशमती ने की एंव निजामत मौलाना जीशान रजा बरकाती गुजराती ने बखूबी अंजाम दी इस मौका पर मुफ्ती मोहम्मद मनाकिबुल हशमत, कारी अब्दुल हफीज हशमती ,मोहम्मद बख्शीश नूरी, मोहम्मद अतहर उल कादरी, मोहम्मद आरिफ रजा, मोहम्मद शहजाद रजा हशमती, मौलाना रजाउल मुस्तफा, मौलाना इसरार अहमद हशमति, हाफिज रेहान रजा हाशमती, समेत बड़ी तादाद में उलमाए कराम व हुफ्फाजे कराम , इस अवसर पर शमसुद्दीन हशमती, पत्रकार गुलाम जीलानी बेग,पत्रकार वहीदुल्लाह चौधरी,प्रधान अहमद अली, हाजी तजम्मुल हुसैन हशमती, दद्दन खान, असगर अली, हसीन हशमत,अरबाज खान,शफीक खान, अब्दुल मोईद खान,अब्दुल बासित,अहमद हुसैन, अब्दुल अज़ीज़ हशमती, क्षेत्र के तमाम संभ्रांत व प्रधान गण एवं पत्रकार बंधु मौजूद रहे। कन्वीनर अलहाज मोहम्मद रिजवान हशमती, इरफान खान हशमती और मोहम्मद अरमान खान हशमती ने सभी उलामा ए कराम और आए हुए मेहमानो का शुक्रिया अदा किया।

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