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सुदामा कृष्ण की मित्रता है आदर्श अनुकरणीय

 


पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या 

नवाबगंज (गोंडा) क्षेत्र के महंगूपुर गांव में शुक्रवार को शुरू हुई भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास पं दुर्गा प्रसाद पाण्डेय ने धुंधकारी की कथा का वर्णन किया।

उन्होंने बताया कि प्रसव पीड़ा से बचने के लिए धुंधुली ने पति द्वारा संतान प्राप्ति के लिए लाये हुए फल का त्याग कर दिया। और चोरी से वह फल गाय को खिला दिया। तदोपरान्त फिर भी धुंधुली ने गर्भ धारण किया और अपने गलत आचरणों के चलते धुंधकारी जैसे पापी पुत्र को जन्मदिन दिया। वही धुंधकारी अपने माता पिता कि मृत्यु का कारण बना।आज प्रायः देखने को मिल रहा है कि माता पिता बच्चों को संस्कार,शुद्ध आचरण, धार्मिक शिक्षा नहीं दें रहे।जिनके कारण संतान कुमार्गी होती जा रही है। धुंधुली बन रही माताओ के यहां धुंधकारी जैसे पुत्र जन्म ले रहे हैं। वही अपने माता पिता को यातनाएं दें रहे हैं।गोकरण जैसे पुत्र के लिए बच्चों को सदकर्म सिखाये। ताकि पूरे कुल का उद्धार हो सके।

वही दूसरी जगह कपिल आश्रम प्रांगण में कथा के सप्तम दिवस पर व्यास सर्वेश जी महाराज ने कृष्ण सुदामा के मैत्री प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार राजा होकर भी कृष्ण अपने निर्धन मित्र सुदामा की मद्त करते हैं यही उत्तम व आदर्श मित्रता है। प्रत्येक व्यक्ति को मित्र के प्रति ईमानदार व सहयोगी होना चाहिए।उन्होंने कथा के अंत में बताया कि श्राप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक सर्प ने डंस लिया किन्तु भागवत कथा के प्रभाव से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ। आरती के साथ कथा का समापन हुआ।कथा में सुरेन्द्र पाण्डेय,नरेंद्र पाण्डेय, प्रकाश चंद्र पाण्डेय,घल्लर पाण्डेय,डा मनमोहन,संदीप पाण्डेय रिंकू, विनीत मिश्र, राहुल पाण्डेय, कपिल आदि उपस्थित रहे.

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