बिहार के औरंगाबाद में जीजा ने साली से रेप का खौफनाक बदला लिया। आरोपी का प्राइवेट पार्ट काट दिया। पढ़ें पूरी कहानी जो रिश्तों, दर्द और इंसाफ की हदें पार कर गई।
"इंसाफ की खूनी कीमत: जब जीजा ने रेपिस्ट को दी दर्दनाक सजा, कांप गई इंसानियत"
बिहार के औरंगाबाद से एक रूह कंपा देने वाली कहानी जो इंसाफ और बदले की सीमा को मिटा देती है...
औरंगाबाद, बिहार:यह कहानी है प्यार, रिश्ते, इज्जत और प्रतिशोध की, जहां कानून से पहले इंसाफ की आग ने सब कुछ जला डाला। औरंगाबाद जिले के देव थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव में ऐसा दिल दहला देने वाला घटनाक्रम सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है।
10 दिन की चुप्पी, 10 मिनट की तबाही:
गांव के ही नीतीश रविदास नाम के युवक ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एक युवती के साथ घर में घुसकर बलात्कार किया। युवती अकेली थी, डरी हुई थी और रिश्तों की शर्म ने उसे चुप करा दिया। लेकिन वह चुप्पी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी।
कभी बहन की तरह चाहने वाले जीजा को जब साली के साथ हुई दरिंदगी की खबर मिली, तो कुछ पल के लिए सब कुछ थम गया। लेकिन उसके बाद जो हुआ, वो इतिहास के काले पन्नों पर दर्ज करने लायक है।
गाड़ी बुकिंग नहीं, मौत का न्योता था:
नीतीश एक इको वैन चलाता था। बदले की आग में तपते जीजा ने चालाकी से उसे फोन किया "गाड़ी चाहिए, घर आ जा।"
जैसे ही नीतीश अपने दोस्त जीवित के साथ घर पहुंचा, कमलेश पहले से तैयार खड़ा था। दरवाजा बंद होते ही वही इंसान, जो कभी रिश्तों में जीता था, अब गुस्से का भूत बन चुका था।
इंसाफ या हैवानियत?
लड़की के जीजा ने नीतीश को धर दबोचा और लोहे के धारदार हथियार से उसका प्राइवेट पार्ट काट डाला। चीख-पुकार के बीच जब जीवित बीच-बचाव करने आया, तो उसका एक पैर भी तोड़ डाला गया। लहूलुहान शरीर और तड़पते बदन के साथ दोनों आरोपी वहीं गिर पड़े।
पुलिस पहुंची, लेकिन देर हो चुकी थी:
जब गांव वालों ने शोर मचाया, तो देव थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और तुरंत कार्रवाई शुरू की। लड़की के जीजा को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि नीतीश और जीवित को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
क्या यह इंसाफ था या जंगलराज?
पुलिस के मुताबिक, रेप पीड़िता की तरफ से पहले कोई एफआईआर नहीं कराई गई थी। लेकिन अब दोनों पक्षों पर दो अलग-अलग मामले दर्ज हुए हैं, एक रेप का, दूसरा प्राइवेट पार्ट काटने और मारपीट का।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ