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BALRAMPUR..राष्ट्र रक्षा महायज्ञ का समापन



अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित आर्य वीर दल कार्यालय ओम भवन पर चल रहे राष्ट्र रक्षा महायज्ञ का समापन गुरुवार को पूर्णाहुति एवं ऋषि लंगर के साथ हो गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक तुलसीपुर कैलाश नाथ शुक्ला सम्मिलित हुए ।


3 अप्नैल को 1,96,08,53,126 के स्वागत में आर्य समाज स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर आर्यवीर दल उत्तर प्रदेश के तत्वधान में ओम भवन बलरामपुर में 16 मार्च से चल रहा राष्ट्र रक्षा महायज्ञ पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ । इस महायज्ञ के बीच ही ऋग्वेद पारायण यज्ञ भी किया गया । बताते चलें कि आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश के प्रचार मंत्री अशोक आर्य ने मेडिकल कॉलेज लखनऊ को अपना देह दान करते समय अपने जीवन में चारों वेदों का परायण यज्ञ करने का संकल्प दिया था जिनमें से यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का परायण यज्ञ पिछले नव वर्ष उत्सव में पूरा हो चुका था और इस वर्ष वेद वेदांग विद्यापीठ गुरुकुल धनपतगंज के ब्रह्मचारियों प्रवेश आर्य, सत्यम आर्य, विष्णु आर्य, ऋषभ तथा रामदेव आर्य नें संपूर्ण ऋग्वेद के 10589 मंत्रो के सस्वर पाठ के साथ आहुतियां देकर आर्य जी के चारों वेदों के 2 0416 मंत्रो द्वारा आहुतियां देने के संकल्प को पूरा किया । हरिद्वार से आए हुए स्वामी वेदामृतानन्द सरस्वती ने ऋग्वेद के प्रथम मंत्र की व्याख्या में बताया कि आओ हम उस परमेश्वर की उपासना करें जो हमारा सब विधि से सदैव हित करता रहता है । उन्होंने कहा कि जो यज्ञ स्वरूप है अर्थात उसके कार्य सर्वश्रेष्ठ होते हैं, वह परमात्मा 33 कोटि के देवों का भी देव महादेव है । वह परमेश्वर प्रत्येक ऋतु में हमारे लिए उपयोगी फल फूल हमें प्रदान करता है । वह परमेश्वर होता है अर्थात यज्ञ में डाले हुए पदार्थ को करोडो गुना अधिक शक्तिशाली बनाकर विश्व में फैला देता है, अपने पास कुछ नहीं आता है । वह परमात्मा सृष्टि में विभिन्न प्रकार के रत्नों का भंडार भरता है और हमारे शरीर में अन्न से रस, रस से रक्त, रक्त से मांस, मांस से अस्थि, अस्थि से मज्जा, मज्जा से वीर्य तथा वीर्य से ओज रुपी रत्न बनाकर हमको देता है । एक अन्य वेदमन्त्र की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि ईर्ष्या, द्वेष, मद, मोह, क्रोध व मत्सर के कारण, सास बहु, देवरानी जेठानी, भाई भाई, गुरु शिष्य, छोटे बड़े, अमीर गरीब, ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य शूद्र, अधिकारी कर्मचारी के लिए मन में बंधी गांठों को खोलने का संकल्प सबसे कराते हुए बताया कि इससे आपके जीवन की मिठास उस तरह बढ़ती चली जाएगी, जैसे गन्ने की गांठ फोड़ने से मिठास बढ़ती चली जाती है। उन्होंने आजकल के बच्चों हेतु मनुरभव जनया दैवयम जनम, के वेदवचन का पालन कर दिव्य गुण, कर्म, स्वभाव युक्त दस तक संतानों को जन्म देकर देश में श्रेष्ठ नागरिकों को उत्पन्न करने का आह्वान किया । कार्यक्रम में नालंदा बिहार से आए हुए इंजीनियर आचार्य देवव्रत यज्ञ के ब्रह्म तथा तुलसीपुर विधायक कैलाश नाथ शुक्ला मुख्य अतिथि रहे । उपदेश तथा भजन के बाद आर्य वीरों ने गौ माता को भोजन कराया और ऋषि लंगर चलाया । स्वामी आत्मानंद, रामफेरन मिश्रा, शिव शरण मिश्रा, जगदंबिका प्रसाद मिश्रा, अरुण शुक्ला, प्रवेश दुबे, श्रवण कुमार, मदन गोपाल शास्त्री, सहज राम गिरी, राम मणि सोनकर सहित दर्जनों मातृशक्ति की पूर्णाहुति में उपस्थिति रही ।

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