गोंडा के छोटे से गांव के किसान पुत्र अखिलेश वर्मा ने 8वीं कोशिश में UPSC में 733वीं रैंक हासिल कर मिसाल कायम की। जानिए संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी।
किसान के बेटे की आठवीं कोशिश में आईएएस रैंकिंग, गांव में ढोल-नगाड़ों से मना जश्न
कृष्ण मोहन
जिस राह पर सपने अक्सर दम तोड़ देते हैं, वहां एक नाम उम्मीद की मिसाल बन गया-अखिलेश वर्मा। यूपी के एक छोटे से गांव से निकलकर आठवीं कोशिश में UPSC की परीक्षा पास कर 733वीं रैंक लाने वाले इस जज्बे की कहानी आज हर किसी को प्रेरणा दे रही है।
गोंडा जनपद के मनकापुर ब्लॉक स्थित गोहन्ना गांव में जन्मे अखिलेश का बचपन खेतों और संघर्षों के बीच बीता। उनके पिता राजाराम एक सामान्य किसान हैं, जिनकी मेहनत का फल आज पूरे गांव में मिठाई बनकर बंट रहा है।
अखिलेश ने इंटर तक की पढ़ाई मनकापुर के एपी इंटर कॉलेज से की, जहां वह 2006 में विद्यालय टॉपर भी रहे। आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने तमिलनाडु स्थित एनआईटी तिरुचिरापल्ली से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया। पढ़ाई पूरी होने के बाद वे नौकरी करने लगे, लेकिन यह सिर्फ खुद के लिए नहीं था - उनका सपना था कि उनका छोटा भाई वीरेंद्र डॉक्टर बने।
2012 से 2022 तक नौकरी करते हुए उन्होंने अपने भाई की एमबीबीएस पढ़ाई में मदद की। इस दौरान अखिलेश ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए 7 बार प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। हार नहीं मानी- 2022 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से UPSC की तैयारी में जुट गए। और इस बार - आठवीं कोशिश ने इतिहास रच दिया।
उनके बड़े भाई कमलेश वर्मा बताते हैं, "तीनों भाइयों में अखिलेश मझिला है। वह शुरू से ही पढ़ाई में तेज था, लेकिन हालात ऐसे थे कि उसे कोचिंग या किसी सुविधा की उम्मीद नहीं थी। उसने खुद कमाया, खुद पढ़ा और खुद ही सिविल सेवा की ऊंचाई तक पहुंचा।"
अखिलेश की सफलता की खबर फैलते ही गांव गोहन्ना जश्न में डूब गया। ढोल-नगाड़े बजे, मिठाइयां बांटी गईं और हर चेहरे पर गर्व की मुस्कान तैर गई।
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