कलयुग में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर ने हैवानियत का चोला पहन लिया था। रुपए की भूख ऐसी जगी कि लोगों की जिंदगी बचाने के बजाय उनकी सांसे बेचने का काम करने लगा। अब दिल्ली पुलिस ने राजस्थान से गिरफ्तार कर लिया है।
दिल्ली पुलिस ने इंसानियत को शर्मसार करने वाले डॉक्टर डेथ को गिरफ्तार कर लिया है। इसके बारे में बताया जाता है कि यह ऐसा दरिंदा था, जिसने रुपए कमाने के खातिर तमाम लोगों को मौत की नींद सुलाता गया। इसके बाद इसे देवेंद्र कुमार शर्मा से डॉक्टर डेथ के नाम से जाना जाने लगा। कानून ने आरोपी के कारनामे को देखते हुए मौत की सजा सुना दी, तब वह कसाई से साधु बन गया।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच शाखा ने राजस्थान के दौसा जिले में संचालित एक आश्रम से डॉक्टर देवेंद्र कुमार शर्मा उर्फ डॉक्टर डेथ को गिरफ्तार कर लिया है। डॉक्टर के हाथ सैकड़ों लोगों के खून से रंगे थे, वहां आश्रम में बैठकर लोगों में भक्ति का ज्ञान बांट रहा था।
यूपी के अलीगढ़ का निवासी है डॉक्टर डेथ
बताया जाता है कि देवेंद्र कुमार शर्मा यूपी के अलीगढ़ जनपद अंतर्गत पुरैनी गांव का रहने वाला है। देवेंद्र ने गृह जनपद के बाद बिहार से शिक्षा ग्रहण की, इसके बाद वह राजस्थान चला गया, जहां पर उसने जनता क्लिनिक के नाम से एक प्रतिष्ठान डाल दिया। इसी दौरान 1993 में डॉक्टर 11 लाख की ठगी का शिकार हो गया, शायद तभी डॉक्टर के अंदर की इंसानियत मर गई और वह डॉक्टर से शैतान बन गया।
रुपए कमाने का जुनून
रुपए का महल खड़ा करने के लिए डॉक्टर ने इंसानियत को शर्मसार करने वाला रास्ता चुन लिया। शुरुआत में डॉक्टर ने फर्जी गैस एजेंसी के नाम पर ठगी शुरू की, लेकिन यह उसके लिए मामूली रकम थी। उसके रुपए कमाने का जुनून बहुत ही ज्यादा था। जिससे उसने बड़े अपराध को अंजाम देना शुरू कर दिया।
हत्या कर ठिकाने लगाया शव
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर डेथ ट्रक और टैक्सी चालकों से गाड़ियां बुक करवा कर उनकी हत्या कर देता था, इसके बाद गाड़ियों को बेच देता था। चालकों की हत्या के बाद उनके शव कासगंज के हजारा नहर में फेंक देता था। जहां मगरमच्छ लाशों को खा जाते थे। जिससे सारे सबूत खत्म हो जाते थे।
सनक ऐसी की भूल गया गिनती
डॉक्टर डेथ ने खुद बताया था कि 50 लोगों की हत्याओं तक उसने गिनती की थी, इसके बाद की संख्या उसे याद नहीं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूछताछ के दौरान बेशर्मी पूर्वक राक्षस डॉक्टर ने यह सब कबूल किया था।
जब मिल गए दो कसाई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1998 में डॉक्टर डेथ की मुलाकात डॉक्टर अमित से हुई, वह भी रुपए कमाने के जद्दोजहद में कसाई बन चुका था। किडनी ट्रांसप्लांट में माहिर डॉ अमित से डॉक्टर डेथ की सांठगांठ हो गई। डॉक्टर डेथ गरीब और बेसहारा लोगों को अपनी मीठी मीठी बातों से बहला-फुसलाकर लाता था, इसके बाद उन्हें मौत की नीद सोना पड़ता था। 5 से 7 लाख रुपए में किडनी बेची जाती थी, इस प्रकार कुल 125 किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था। यह राजफाश तब हुआ, जब वर्ष 2004 में पहली बार गिरफ्तारी हुई।
डॉक्टर से बन गया बाबा
बताया जाता है कि वर्ष 2023 के 9 जून को डॉक्टर डेथ 2 महीने के पैरोल पर बाहर आया था, जिसे 2 महीने बाद वापस जेल चले जाना था, लेकिन उसे भगाने का मौका मिल गया। इस बार डॉक्टर ने ठग बनने के बजाय छलिया बनने में भलाई समझी। वह पुलिस से बचने के लिए राजस्थान के दौसा जिले में संचालित एक आश्रम में जाकर जीवन गुजारने लगा।
पैरोल सूची से खुला राज
दरअसल दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम पैरोल की सूची खंगाल रही थी, तभी डॉक्टर डेथ का नाम सामने आ गया। इस दौरान पुलिस ने कई राज्यों का सफर किया, अंततः 6 महीने बाद क्राइम ब्रांच टीम को उसकी लोकेशन मिल गई।
मौत की सजा पर मौत नहीं
देवेंद्र के खिलाफ 21 हत्याओं का आरोप पत्र दाखिल है, दिल्ली के मामले में उम्रकैद तो गुरुग्राम के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इसके बावजूद वह पैरोल के रास्ते आश्रम में जीवन गुजार रहा था।
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