संभल पुलिस ने लेखपाल, लिपिक, चपरासी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है। 326 बीघा सरकारी जमीन को चकबंदी स्टाफ ने 58 अज्ञात लोगों के नाम जमीन करके अभिलेखों में फर्जीवाड़ा किया था। मामले में 67 लोगों के खिलाफ केस दर्ज है, जिसमें 9 चकबंदी अधिकारियों में चार कर्मियों की मौत हो चुकी है।
यूपी में संभल जिले के गुन्नौर कोतवाली पुलिस ने सरकारी जमीन के फर्जीवाड़ा के मामले में लेखपाल रामोतार, लिपिक, चपरासी रामनिवास और लेखपाल मोरध्वज को गिरफ्तार किया है।
बता दें कि लगभग 7 वर्ष पहले थाना गुन्नौर में चकबंदी लेखपाल कुलदीप सिंह ने शिकायत पत्र देकर मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें कहा था कि जुनावई थाना क्षेत्र के गैर आबादी गांव सुखैला में 326 बीघा जमीन को 58 लोगों के नाम कर दिया गया है। जिसकी जांच पड़ताल करने पर किसी का नाम पता ज्ञात नहीं हुआ।
घोटाले में घोटाला
मामले की जांच के लिए टीम गठित हुई, विभागीय जांच में स्पष्ट हुआ कि भूमि आवंटन से संबंधित सभी दस्तावेज गायब किए गए हैं। इस बाबत केवल आवंटन वाली प्रविष्टियां ही प्राप्त हो सकी। पूरे मामले में 58 लाभार्थियों तथा चकबंदी विभाग के 9 अधिकारी कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई। विवेचना के दौरान पुलिस ने पाया कि मुकदमे से संबंधित दस्तावेज गायब हो गए हैं, मामले में थाना बहजोई में एक और मुकदमा दर्ज करके विवेचना शुरू की गई है।
आरोपी बनाए गए अधिकारी कर्मचारी
जांच में 58 लाभार्थी के अलावा चकबंदी विभाग के नौ कर्मचारी जिसमे कासगंज जिले के आवास विकास में रहने वाले चकबंदी लेखपाल कालीचरण पुत्र गोपाल सिंह, बुलंदशहर डिस्ट्रिक्ट के नरौरा थाना शेर अंतर्गत सतयपुरी नई नरौरा गांव के रहने वाले रामौतार लिपिक पुत्र भूदेव सिंह, बिजनौर जिले के शिवाला कलां थाना क्षेत्र अंतर्गत मौहसैनपुर उर्फ नवादा के रहने वाले चपरासी रामनिवास पुत्र मनफूल, अलीगढ़ जिले के हर दुआ गंज थाना क्षेत्र अंतर्गत मई गांव के रहने वाले लेखपाल मोरध्वज पुत्र होडिल, एटा जिले के अलीगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत सिमौर गांव के रहने वाले चपरासी जितेन्द्र कुमार पुत्र रोहित चौहान, शाहजहांपुर जनपद के गढिया रंगीन थाना क्षेत्र के गठिया गांव में रहने वाले बाबू मुकेश पुत्र नितिन कुमार, संभल जिले के थाना बनियाठेर के नगला खाकम गांव के रहने वाले चकबंदी लेखपाल राजीव कुमार पुत्र सोनू कुमार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। लेकिन लगभग एक वर्ष बाद सशर्त बहाल भी कर दिया गया। वर्ष 2015 में चकबंदी कर्ता पवन कुमार और चकबंदी अधिकारी सुरेंद्र सिंह यादव की मौत हो गई। इन सभी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना कर पुलिस ने 2018 में रिपोर्ट अपराध अनुसंधान केंद्र लखनऊ को भेज दिया था, लेकिन तकनीकी कारणों से वापस आ गई।
इनकी हुई मौत, यह गिरफ्तार
मामले की विवेचना थाना गुन्नौर के द्वारा की जा रही है। लेकिन चपरासी जितेंद्र कुमार, बाबू मुकेश, चकबंदी लेखपाल राजीव कुमार और चकबन्दी कर्ता पवन कुमार की मौत हो चुकी है।वही लेखपाल कालीचरण, लिपिक रामौतार, चपरासी रामनिवास और चकबंदी लेखपाल मोरध्वज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
कर्मचारियों की मंशा
पुलिस ने जांच में पाया कि सभी आरोपी ने मिलकर फर्जी 58 लाभार्थियों को करीब 326 बीघा जमीन का आवंटन कर दिया था। ताकि बाद में उस जमीन पर कब्जा करके उसे खुद बेचा जा सके।
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ