अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर के इंडोनपाल सीमा पर तैनात सशसशस्त्र सीमा बल 9 वीं वाहिनी द्वारा शुक्रवार को नागरिक कल्याण कार्यक्रम के तहत सीमावर्ती 30 युवाओं का 20 दिवसीय बेसिक कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन तथा सह सीमा दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
03 अक्टूबर को 09वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल, बलरामपुर के कार्यक्षेत्र अंतर्गत ई-समवाय, कोइलाबास के सीमावर्ती ग्राम जरवा में युवाओं के कौशल विकास एवं डिजिटल सशक्तिकरण हेतु संचालित 20 दिवसीय बेसिक कंप्यूटर प्रशिक्षण का समापन समारोह आज ग्राम पंचायत सचिवालय मोहकमपुर में आयोजित किया गया।नागरिक कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित इस प्रशिक्षण में कुल 30 प्रतिभागी युवाओं ने कंप्यूटर की मूलभूत जानकारी हासिल की। इस प्रशिक्षण का संचालन सीमावर्ती क्षेत्र में सामाजिक उत्थान एवं शिक्षा प्रसार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था प्रेरणा फाउंडेशन, श्रावस्ती द्वारा किया गया।समापन अवसर पर 09वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल बलरामपुर के कार्यवाहक कमांडेंट कुमुद रंजन, ग्राम प्रधान मो. शकील, बल के अधिकारी, जवान एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। प्रशिक्षण पूर्ण करने वाले युवाओं को कार्यवाहक कमांडेंट महोदय द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया और उनके उज्ज्वल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएं दी गईं।इस अवसर पर कार्यवाहक कमांडेंट श्री कुमुद रंजन ने युवाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के युवा विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। डिजिटल साक्षरता एवं तकनीकी शिक्षा से निपुण होकर ये युवा भविष्य में रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसरों का लाभ उठाकर आत्मनिर्भर बन पाएंगे।प्रेरणा फाउंडेशन, श्रावस्ती के संयोजक श्री संजय श्रीवास्तव ने बताया कि संगठन का लक्ष्य सीमावर्ती एवं ग्रामीण अंचलों के युवाओं में तकनीकी शिक्षा का प्रसार करना है, जिससे वे सूचना प्रौद्योगिकी में दक्ष होकर समाज और राष्ट्र निर्माण में अपनी सार्थक भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।समारोह के उपरांत इन प्रशिक्षुओं को सीमा दर्शन भी कराया गया, जिससे उन्हें सशस्त्र सीमा बल की भूमिका, सीमा प्रबंधन एवं राष्ट्र सुरक्षा से जुड़े कार्यों की वास्तविक जानकारी प्राप्त हुई। इस अनुभव ने युवाओं में देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की भावना को और प्रबल किया।सशस्त्र सीमा बल द्वारा ऐसे नागरिक कल्याण कार्यक्रम न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में तकनीकी शिक्षा एवं आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करते हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द, जिम्मेदारी एवं जन-जागरूकता को भी सुदृढ़ बनाते हैं।
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