अखिलेश्वर तिवारी
विश्व को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भगवान बुद्ध की तपोस्थली श्रावस्ती और उनके बाल्यकाल की स्मृतियों को संजोए हुए पिपरहवा (सिद्धार्थनगर) को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ गई है। जिला पंचायत बस्ती के अध्यक्ष एवं श्रावस्ती के पूर्व सांसद दद्दन मिश्रा ने केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को पत्र भेजकर दोनों स्थलों को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने की मांग उठाई है।
जानकारी के अनुसार पत्र में दद्दन मिश्रा ने कहा है कि श्रावस्ती वह पवित्र भूमि है जहां भगवान बुद्ध ने अपने चमत्कारों से अविश्वासियों को चकित किया था और धर्म के प्रति आस्था जगाई थी। वहीं पिपरहवा का क्षेत्र भगवान बुद्ध के बचपन और कपिलवस्तु की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को अपने भीतर समेटे हुए है। उन्होंने कहा कि ये दोनों स्थल धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विश्व स्तर पर अनमोल विरासत हैं। उन्होंने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) दोनों स्थलों को संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित कर चुका है, जहाँ वर्षभर देश–विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। ऐसे में इन स्थानों की वैश्विक पहचान बढ़ाने और संरक्षा को और अधिक मजबूत करने के लिए इन्हें यूनेस्को धरोहर सूची में शामिल किया जाना अत्यंत आवश्यक है। दद्दन मिश्रा ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि श्रावस्ती और पिपरहवा को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए भारत सरकार स्तर से आवश्यक कार्रवाई की जाए, जिससे उत्तर प्रदेश के इन ऐतिहासिक स्थलों को वैश्विक मानचित्र पर विशेष स्थान मिल सके और भारत की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा और अधिक सुदृढ़ हो।
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