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महिलाएं इतिहास रटें नहीं बल्कि खुद रचें : मुन्नी बेगम


प्रतापगढ़! बेटियों की शिक्षा से ही बाल विवाह पर अंकुश संभव है. बेटियों के प्रति समाज को अपना नजरिया बदलना होगा और उन्हें पढ़ा लिखा कर आत्म निर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करना होगा. उक्त विचार आज महिला समाख्या सभागार में तरुण चेतना व चाइल्डलाइन 1098 द्वारा बाल विवाह पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला में जिला प्रोबेशन /बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी रन बहादुर वर्मा ने व्यक्त किया. श्री वर्मा ने कहा कि बेटियां अपना भविष्य खुद बना सकती हैं और उन्हें अपना जीवन साथी खुद चुनने की आजादी होनी चाहिए. हमें बेटियों के जन्म पर भी खुशियों मनानी चाहिए.
       कार्यशाला के प्रारम्भ में आयोजक संस्था तरुण चेतना के निदेशक व बाल विवाह रोकने सम्बन्धी जिला स्तरीय समिति के सदस्य नसीम अंसारी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल विवाह या कम उम्र में विवाह जहाँ बाल अधिकारों का हनन है वहीँ एक सामाजिक बुराई भी है. इसे कानून से नहीं बल्कि जागरूकता से रोका जा सकता है, इसे रोकने के लिए सभी को एक साथ आना होगा. यदि कहीं भी बाल विवाह की सूचना मिले तो चाइल्डलाइन 1098 पर सूचना देकर रोका जा सकता है, जो 24 घंटे काम करता है.     
    इस अवसर पर उप राष्ट्रपति पुरुस्कार विजेता मुन्नी बेगम ने कहा कि महिलाएं कोई वस्तु नहीं बल्कि एक इन्सान हैं, उन्हें कोई उपभोग की वस्तु न समझ कर पुरुषों को उन्हें आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए, तभी समाज का विकास संभव है. सुश्री मुन्नी बेगम ने कहा कि बेटियों की शादी के समय उनकी भी राय लेना चाहिए और परिवार को चाहिए कि उनकी मर्जी के बिना शादी ना करें. उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं, वे  इतिहास पढ़े नहीं बल्कि खुद रचें ताकि समाज में उनका भी नाम रोशन हो. 
    कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे बाल कल्याण समिति के सदस्य व पूर्व जेल अधीक्षक वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने कार्यशाला की सराहना करते हुए कहा कि बाल विवाह सभ्य समाज के लिए अभिशाप है, इसे रोकने के लिए पुरुषों के साथ साथ महिलाओं को भी आगे आना होगा.  इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी अभय शुक्ला ने कहा कि सामूहिक पहल से बाल विवाह पर अंकुश संभव हैंकी जा सकती हैं. श्री शुक्ला ने आह्वाहन किया कि समाज में फैले बाल विवाह जैसे कुरीतियों पर रोक समाज के सजग व जागरूक लोग ही रोक लगा सकते हैं। इसके लिए समाज के बुद्धिजीवियों एवं शिक्षित वर्ग को जागरूक होने की आवश्यकता है। इस अवसर पर महिला कल्याण अधिकारी जाया यादव ने कहा कि समाज में फैली भ्रांतियों के कारण सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शादी कम उम्र में करने की परंपरा को रोकने की आवश्यकता है। इसके लिए इसकी मुख्य कड़ी समाज के जनप्रतिनिधि एवं समाजसेवी संस्थाएं हैं, जिनके माध्यम से बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर रोक लगाई जा सकती है. इस अवसर पर पत्रकार शिवाकांत राय ने भी विचार व्यक्त करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया. 
   कार्यशाला का संचालन चाइल्डलाइन प्रतापगढ़ के सदस्य हकीम अंसारी ने किया और अंत में महिला समाख्या की जिला कार्यक्रम समन्वयक सरोज सिंह ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया.

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