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धर्मगुरूओं के सहयोग से पोलियो की तरह होगा फाइलेरिया का ख़ात्मा


अखिलेश्वर तिवारी
जिले में 17 से 29 फरवरी तक चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान
नाइट ब्लड सर्वे के दौरान मिले 10 केस, 75 हजार लोगों को फाइलेरिया की संभावना

बलरामपुर ।। फाइलेरिया के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। जब यह बीमारी हो जाती है तब बीमार व्यक्ति को पता चलता है। एक बार ये बीमारी हो गई तो इसका इलाज नामुमकिन है लेकिन इस बीमारी से बचा जा सकता है। दो साल के कम बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गम्भीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को छोड़कर सभी व्यक्ति को साल में एक बार पांच साल तक दवा लेनी है। धर्मगुरूओं के सहयोग से जिस तरह जिला पोलियो मुक्त हो गया उसी प्रकार 2020 के अंत तक जिले को हाथी पांव मुक्त बनाना है।

                             स्वास्थ्य विभाग और प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के संयुक्त तत्वाधान में गुरूवार को सीएमओ कार्यालय सभागार में आयोजित धर्मगुरूओं और अधिकारियों की संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान ये बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. घनश्याम सिंह ने कही। धर्मगुरूओं से अपील करते हुए सीएमओ ने कहा कि समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि धर्मगुरू लोगों को फाइलेरिया की दवा खाने के लिए प्रेरित करेंगें तो वे बढ़ चढ़कर इस अभियान में हिस्सा लेंगे। पाथ फाउंडेशन के राज्य प्रतिनिधि डा. शोएब अनवर ने बताया कि यह बीमारी मादा क्यूलेक्स मच्छर काटने से फैलती है। यह बीमारी हाइड्रोसील और हाथीपांव के रूप में कई साल बाद दिखाई पड़ती है। बीमारी बढ़ने पर व्यक्ति चलने के काबिल नहीं रहता। कुछ दिनों पहले जिले में नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 10 केस सामने आये हैं जिनमें माइक्रो फाइलेरिया का लक्षण पाया गया है। उन्होने बताया कि जिले में करीब तीन प्रतिशत यानि 75 हजार लोग ऐसे है जिन्हे फाइलेरिया होने की संभावना है इसीलिए 17 से 29 फरवरी तक चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) के दौरान लगभग सभी व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना जरूरी है। डा. ए.के. पाण्डेय ने बताया कि फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में चलने वाले अभियान के लिए 1938 टीमें बनाई गई हैं। सुबह 11 बजे के बाद टीमें क्षेत्र के लिए निकलेंगी। सभी को फैमली रजिस्टर दिया गया है जिसमें दवा खाने वाले परिवार का डाटा लिखना है। अभियान के दौरान आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। सभी को दवा सामने खिलानी है यदि कोई व्यक्ति घर पर मौजूद नहीं हो तो परिवार को बताएं की दवा आशा के पास मौजूद है उसके पास जाकर दवा का सेवन कर सकते हैं। नगर में 30 व गांव में 25 घर पर प्रतिदिन टीमें जाएंगी और दवा खिलाने के बाद बाएं हाथ की उंगली पर निशान लगाएंगी। एसीएमओ डा. ए.के. सिंघल ने कहा कि सबको मिलकर फाइलेरिया के खिलाफ मुहिम चलानी है। जिले में चलने वाले अभियान की माॅनिटरिंग डब्लूएचओ व युनिसेफ के द्वारा किया जाएगा। उन्होने बताया दवा खाने के दौरान यदि किसी व्यक्ति को कभी कभी सिर दर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी, बदन पर चकत्ते या खुजली जैसी कोई समस्या आती है तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के अंदर माइक्रो फाइलेरिया के लक्ष्य मौजूद हैं। इस दौरान आशा की सूचना पर रैपिड रिस्पांस टीम मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित करेगी। सीडीपीओ उतरौला सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि यदि किसी को हाथीपांव हो गया तो लोग उसके बगल बैठना पसंद नहीं करते, एक तरीके से उसका सामाजिक बहिष्कार हो जाता है, इसीलिए इस बीमारी से बचाव बहुत ही जरूरी है। कार्यशाला के दौरान जिला मलेरिया अधिकारी मंजुला आनंद, एसीएमओ डा. अरूण कुमार, एसीएमओ डा. बी.पी. सिंह, जिला स्वास्थ शिक्षा सूचना अधिकारी अरविंद मिश्रा, पीसीआई कोआर्डिनेटर गिरिजेश श्रीवास्तव, धर्मवीर, सीडीपीओ राकेश शर्मा, गरिमा श्रीवास्तव, ममता गुप्ता, राजेश कुमार सिंह, रेनू जायसवाल, प्रियंका दूबे, संजीव कुमार, धर्मगुरू राजकरन परिव्राजक, मोहम्मद अहमद, विश्वम्भर प्रसाद ओझा, मोहम्मद इजहार, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद अली, मोहम्मद रफीक, मोईनुद्दीन, बिलाल अहमद सिद्दीकी सहित तमाम एमओआईसी, बीडीओ, बीटीओ, एडीओ, बीसीपीएम मौजूद रहे।

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