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रेहणी ,पटरी और ठेला लगाकर जीवन बसर करने वाले लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं

 
संतोष तिवारी 
वडोदरा गुजरात|| कोरोना की वजह से लाकडाउन के चलते जहा काम धन्धा बंद होने की वजह से मजदूर अपने अपने वतन के लिये पैदल ही चल पडे है वही रेहणी ,पटरी और ठेला लगाकर गुजर बसर करने वाले लाखो  लोगों पर भी अब खाने पीने का संकट आने लगा है | लगभग दो महीने के लाकडाउन मे इन सब की हालत भी अब खराब होने लगी है | सरकार दावे तो बहुत कर रही है ,लेकिन इन सब के पास राहत नही पहुच पा रही है | बहुत सारे रेहणी पटरी वाले तो ऐसे है जिनके पास नगर पालिका या सरकार का कोई भी नंबर या रजिस्ट्रेशन नही है ऐसे मे सवाल यह उठता है कि सरकार ने जो दस हजार आथिऀक सहायता की घोषणा की है वह इन लोगो के पास कैसे पहुचती है ,ऐसे ही अपनी चाय की लारी लगाने वाले वडोदरा निवासी रामभाई सकपाल कहते है कि हम गरीबो की सुनने वाला है ही कौन ?? किसी तरीके से रोज कमाकर रोज खाने वाला हम लोगो का जीवन मानो थम सा गया है | आथिऀक सहायता के नाम पर सरकारों की  बयानबाजी तो बहुत सुनने को मिलती है पर जमीनी हकीकत यह है आम जरूरत मंद तक वह मदद पहुचने के पहले ही बंदरबाट की भेट चढ जाती है | जो चतुर ओर तिकडमी लोग होते है वही सरकार की योजनाओं का लाभ ले पाते है ,हम जैसे सीधे साधे लोग आज तक सरकार की किसी भी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाये है | 70 साल की उमॖ मे भी रामभाई सकपाल को अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है वह सरकारों के दीनो करम पर रहना भी नही चाहते ,उनका कहना है बस अब सरकार लाकडाऊन मे थोडी छूट रेहणी पटरी वालो को भी दे दे तो उनके बंद पडे चूल्हे फिर से जलने लगेगे ||  

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