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शहरो से गाॕव पहुच रहे मजदूरों के साथ सावधानी बरते ग्राम पंचायते और ग्रामवासी


लेख: कोरोना के कहर से पूरी दुनिया सहमी हुई है | अभी तक कोई कारगर दवा न बन पाने के कारण लाकडाउन ही एक मात्र उपाय अपनाया जा रहा है |इस लाकडाउन मे सभी औद्दोगिक गतिविधिया बंद होने के कारण वहा काम कर रहे मजदूरों पर सबसे बडा संकट खाने पीने और रहने का आ खडा हुआ है |भूख और प्यास से बेहबल मजदूर अब रूकना नही चाहते और अपने अपने गाव की तरफ कोई साईकिल से कोई पैदल ,कोई रेलवे टॖेक के रास्ते और कोई टॖको मे बैठकर निकल पडा है | हालाकि सरकार उनके खाने पीने के पॖबन्ध के समुचित. दावे तो कर रही है लेकिन फिर भी बहुतो तक भोजन नही पहुच पा रहा है | केन्द्र से लेकर राज्य सरकारे भले ही बडे बडे दावे करे लेकिन वे मजदूरों का विश्वास जीत पाने मे नाकामयाब रही है , तभी तो लाख आश्वासन के बावजूद भी मजदूर अब कुछ भी सुनना नही चाहते और अपने गाव पहुचना चाहते है |जो मजदूर गाव मे रोजगार के संकट के चलते शहरो मे अपने अपने सपने लेकर आये थे आज वही शहर उन्हें दो जून की रोटी दे पाने मे भी नाकारा साबित हो रहा है | मजदूरों के इस तरह से पलायन करने के बाद जहा उद्योग धन्धे चालू होने के बाद उत्पादन ठप पडेगा वही गाव मे भी उनके लिए रोजी रोटी का जुगाड कर पाना मुश्किल होगा| शहरो से अपने अपने गाव पहुच रहे इन मजदूरों के साथ ग्राम पंचायतो को पूरी इमानदारी के साथ उनके रहने खाने और स्वास्थ्य सम्बधी चेक अप समय समय पर करवा कर जिला पॖशासनको इसकी जानकारी देते रहना पडेगा वही गाॖम वासियों को भी शोसल डिस्टेनसिग का पालन करते हुए ऐहितियात बरतने की जरूरत है क्योंकि जो लोग गाव पहुच रहे है वे संकॖमित भी हो सकते है ऐसे मे किसी भी पॖकार की लापरवाही इस संकॖमण को गावो मे भी पहुचा सकती है |                     संतोष तिवारी जनऀलिस्ट              वडोदरा गुजरात

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