रिपोर्ट:सुहैल आलम
बल्दीराय/सुल्तानपुर।बल्दीराय तहसील क्षेत्र में इसौली कस्बा है जो गोमती नदी के किनारे टीले पर बसा हुआ है जो मौजूदा वक्त में इसौली विधानसभा के नाम से भी जाना और पहचाना जाता है इसी कस्बे में शाही जमाने की जामा मस्जिद किला ठीक गोमती दरिया के किनारे पर मौजूद है इस क्षेत्र का सबसे बड़ा कदीमी ईदगाह यही पर हैं। यहॉ की रामलीला पूरे सुल्तानपुर जनपद मे प्रसिद्ध है पुरानी इमारतें, लखौरी ईटो के पुरानी मंदिरों व पुराने खंडहरो को आज भी देखा जा सकता है।गुजरे जमाने में इसी कस्बे को रोशनाई शहर का दर्जा हसिल था यही पर फौज और बड़े कारोबारी रहते थे।यहां की नाई शहनाई और रोशनाई मशहूर थी। यहॉ की रोशनाई ब्रिटिश हकूमत में लंदन सप्लाई की जाती थी आम की दावत पर बिधायक अबरार अहमद आमो का लुप्त लेने गौरा बरामऊ के अब्दुल रहमान की मशहूर बाग में आमों का लुप्त लिया सुहेल ने अपने बाग के एक नई किस्म का आम जो कच्चा मीठा अतिथियों को चखाया।लाँक डाउन का खयाल रखते हुए एक काब्य गोष्ठी हुई जिसकी अध्यक्षता विधायक अबरार अहमद मुख्य अतिथि पूर्व जिला जज तनबीर अहमद वजफी संचालन आमिल सुल्तानपुरी ने किया पूर्व प्रधान अब्दुल रहमान ने आये हुए मेहमानों का स्वागत किया और अपने खयालात का इजहार किया अबरार फैजाबादी ने कुछ इस तरह से कलाम पेस कर तारीफे लूटी कि
गुजरते हुए वक्त में सदियां तलास करता हूँ।,
यह मेरी प्यास है नदियां तलाश करता हूँ।,
यहां तो लोग गिनाते है खूबियां अपनी।,
मैं तो अपने आपमे कमियां तलाश करता हूँ।,
दूसरे शायर जाबेद हैदरगढी ने उर्दू अदब की छोटी काब्य गोष्ठी में अपने कलाम पेस किया
इल्म के साथ अमल की कूवत दे या रब।
और तौफीके मसक्कत मे हिस्सा दे दे या रब।
फिर से हो फरहान की चोटी सदा कोई बुलन्द।
फिर से आवाजें मुहम्मद को उभारा जाय।
डा समसुल कमर, हम्माद, ने भी अपने असार सुनाए इस मौके पर रबी अहमद, नन्हे प्रधान डा नफीस जहीर करूणा पाठक, जुबेर इन सबकी रही मोजूदगी
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