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PRATAPGARH:गुरु जी का जीवन दर्शन था राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति :रमेश जी



शिवेश शुक्ला 
प्रतापगढ़।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक परम पूज्य माधवराव सदाशिवराव  गोलवलकर गुरुजी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने प्रतापगढ़ के फेसबुक पेज केशव सेवा संस्थान के माध्यम से कार्यकर्ताओं और समाज के बंधुओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्री गुरुजी एक युग दृष्टा और अलौकिक प्रतिभा के धनी थे।श्री रमेश जी ने कहा कि राष्ट्रीयता और राष्ट्रभक्ति गुरु जी का जीवन दर्शन था । गुरु जी कहते थे कि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति चाहे उसकी जो भी पूजा पद्धति हो  वह हिंदू है और हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है,उनके अंदर गहरी आध्यात्मिक अभिरुचि थी तथा उनके अंदर आध्यात्मिकता और राष्ट्रीयता में अद्भुत समन्वय था उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्ययन और अध्यापन किया और बीएचयू में ही संघ के स्वयंसेवक बने वहीं उनका नाम गुरुजी पड़ा । स्वाध्याय में उनकी विशेष रुचि थी। विषम परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होते थे और उनके कार्य में सदैव निरंतरता और गतिशीलता बनी रहती थी। 1939 में वे संघ के सरकार्यवाह हुए और आगे चलकर डॉक्टर साहब के महानिर्वाण के पश्चात 34 वर्ष की आयु में अर्थात 1940 में ही संघ के सरसंघचालक बने। श्री गुरुजी निरंतर प्रवास करते थे और कहते थे मेरा दूसरा आवास रेलगाड़ी का डिब्बा है,"गाड़ी मेरा घर है कहकर, जिसने की संचार तपस्या" इसके लिए उन्होंने 65 से 70 बार संपूर्ण देश का भ्रमण व प्रवास किया।1947 भारत विभाजन की घटना ने उन्हें उन्हें झकझोर कर रख दिया था।संघ के स्वयंसेवको के माध्यम से लगभग 5 लाख हिन्दुओं को सुरक्षित पाकिस्तान से हिंदुस्तान लाने का काम किया। जम्मू-कश्मीर को भारत मे विलय के लिए सर्वाधिक भूमिका निभाई।1962 के भारत-चीन युद्ध के पूर्व उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री को आगाह किया था कि भारत को हिंदी-चीनी,भाई-भाई का नारा लगाने वाले चीन से सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्पूर्ण समाज को जोड़ने व संघटित करने के लिए ही समाज व राष्ट्र की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,  भारतीय जनसंघ, विश्व हिंदू परिषद,वनबासी कल्याण आश्रम,भारतीय मजदूर संघ,भारतीय किसान संघ जैसे अनेक संगठनों की स्थापना स्वयंसेवकों के माध्यम से की।संघ के व्यापक प्रभाव और राष्ट्र के प्रति समर्पण के परिणाम स्वरूप एवं 1962 के चीन द्वारा भारत पर किये गए आक्रमण के समय देश के लिये संघ के स्वयंसेवको की भूमिका से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नेहरू जी ने 1963 में गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली में संघ के 3000 गणवेशधारी स्वयंसेवकों को बुलाकर प्रदर्शन व आकर्षण का हिस्सा बनाया गया। उन्होंने कहा कि श्री गुरु जी का व्यक्तित्व अद्भुत,अद्वितीय और अत्यंत प्रेरणादायी व राष्ट्र के लिये समर्पित था।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रतापगढ़ के जिला कार्यवाह डॉक्टर सौरभ पांडेय ने बताया की जिले की प्रत्येक कुटुंब शाखा ई शाखा, मिलन और मंडली के साथ-साथ विचार परिवार के सभी संगठनों के कार्यकर्ताओं  सहित  समाज के बंधुओं ने उद्बोधन को सुना और श्री गुरु जी के जीवन की प्रेरणा प्राप्त की ।

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