इस साल श्राद्ध 1 सितंबर से शुरू होंगे और 17 सितंबर को समाप्त होंगे। इसके अगले दिन 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। वहीं नवरात्रि का पावन पर्व 17 अक्टूबर से शुरू होगा और 25 अक्टूबर को समाप्त होगा। वहीं चतुर्मास देवउठनी के दिन 25 नवंबर को समाप्त होंगे। चतुर्मास की समाप्ति के बाद से ही विवाह, मुंडन एवं अन्य प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
अभी चल रही है चतुर्मास की अवधि
यह चतुर्मास का समय चल रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि इस समय भगवान विष्णु के पाताल लोक में निद्रासन में आने के बाद वातावरण में नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं। शास्त्रों में इससे बचने के लिए एक ही स्थान पर रहकर ईश्वर की साधना करने को बताया गया है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
श्राद्ध का महत्व
पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके तर्पण के निमित्त श्राद्ध किया जाता है। यहां श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने से है। श्राद्ध पक्ष अपने पूर्वजों को जो इस धरती पर नहीं है एक विशेष समय में 15 दिनों की अवधि तक सम्मान दिया जाता है, इस अवधि को पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहते हैं। हिंदू धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य का प्रवेश कन्या राशि में होता है तो, उसी दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान को सर्वोत्तम माना गया है।
पंडित देवस्य मिश्र ज्योतिषाचार्य
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