अखिलेश्वर तिवारी
जनपद बलरामपुर जिला मुख्यालय स्थित एमएलके पीजी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा वैदिक" माइक्रोबायोलोजी रिट्रोस्पेक्ट एंव प्रास्पेक्ट" विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया । इस वेबिनार में मुख्य अतिथि एंव मुख्य वक्ता के रूप में गुरूकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो० आर० सी० दुबे ने वेदों की उत्तपत्ती व भाषा की उत्पत्ति पर व्याख्या करते हुए सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति के बिषय मे वख्यान दिया ।
जानकारी के अनुसार वेबीनार में बोलते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर आरसी दुबे ने वेदों में प्रयुक्त वाक्य “प्रज्ञानम ब्रहम अहम ब्रहमार्क तत्वम असि सहति” अर्थ वेद मे वर्णित किटाणु तथा कृमि द्वारा सूक्ष्म जीवों की व्याख्या की। प्रो० दूबे ने बताया की आधुनिक युग में ल्यूवेनहाक को सूक्ष्मजीव विज्ञान का जन्म दाता मानता है, लेकिन महार्षी कण्व ऋषि ने सूक्ष्मजीवों के विभिन्न प्रकार की व्याख्या अर्थवेद में की है । अंत: कण्व ऋषि सूक्ष्मजैविकी के पिता है। महार्षि ने 11 प्रकार के जीवों तथा छ: प्रकार के ट्युबर कुलोसिस का वर्णन किया है, जिनसे रोग उत्पन्न होता है। उन्हीं रोगों की व्याख्या आज विज्ञान कर रहा है।
अपशिष्ट पदार्थ में रहने वाले व दूध दही में रहने वाले सूक्ष्मजीवों की व्याख्या वेदों में है। वेदों मे सूक्ष्मजीवों की गणना 1012 तक भी की जबकि आज के विज्ञान ने मृदा में 108 तक जीव की गणना की है। प्रो० दूबे ने कहा की गाँवों मे पूजनीय शीतला माता को (स्माल पाक्स) चेचक जिसे वेद मे मसूरिका कहा गया है, की व्याख्या वेदों में है। कार्यक्रम की अध्यक्षता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. वी एन पाण्डेय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा की वैदिक माइक्रोबायोलोजी को वनस्पति विज्ञान की पूर्व शाखा के रूप मे अध्ययन करने की आवश्यकता है। हमारा वैदिक ज्ञान हमें विज्ञान के जीवन मे जुड़े रहस्यो को समझने मे सार्थक होगा। विभागाध्यक्ष एंव आयोजन सचिव डॉ दिव्य दर्शन तिवारी ने सभी अतिथियों एंव प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ मो० अकमल ने अध्यक्ष का स्वागत तथा डॉ राजीव रंजन ने मुख्य अतिथि के शैक्षणिक उपलब्धियों से सभी को अवगत कराया, वहीं शिव महेन्द्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वेबिनार में अवकाश प्राप्त प्राध्यापक डॉ जे० पी० तिवारी, डॉ डी० एस० शुक्ला तथा डॉ जे० एस० चौहान ने सम्बोधित करते हुये इसे एक अति सराहनीय कदम बताया और कहा की इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए । कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ आर ० के० पाण्डेय द्वारा किया गया । इस अवसर पर डॉ सुनील कुमार श्रीवास्तव, अजय कुमार श्रीवास्तव, योगेश कसौंधन, बी० सी० ए० विभागाध्यक्ष अविनाश सिंह एंव विद्यार्थी गुड्डू तिवारी का सहयोग अतुलनीय रहा। महाविद्यालय में आयोजित इस वेबिनार श्रंखला के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ आर० के० सिंह ने समन्वयक डॉ जे० पी० पाण्डेय, वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ डी० डी० तिवारी एंव आयोजन समिति के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।
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