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श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से मिलती है मन को शांति :-बाल व्यास ओम जी

संस्कृत मेहता पाठशाला में चल रही कथा के चौथे दिन

एस के शुक्ला

प्रतापगढ़। नगर के मेहता संस्कृत पाठशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक मनाया गया। जय कन्हैया लाल की जय से गूंजायमान हो उठा। कथा में  पहुंचे श्रद्धालु भाव विभार हो गये। कथा कह रहे बाल व्यास ओम जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म,अर्थ,काम व मोक्ष की महता पर प्रकाश डाला। बाल व्यास ने कहा कि जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। बाल व्यास ने कहा कि भागवत में श्रीकृष्ण जन्म से पहले राम कथा की चर्चा की गई है। 

उन्होंने कहा कि जब तक हमारा जीवन राम की तरह नही रहेगा तब तक श्री कृष्ण कथा हमे समझ नही आयेगी। बाल व्यास ने कहा कि भागवत कथा एक एैसी कथा है जिसका श्रवण करने से मन को शांति मिलती है। अपने शरीर में भरी मैल को साफ करने के लिए अगर इसे मन से ग्रहण करें तो यह अमृत के समान है इसमें अपने अंदर का मैं, अहंकार खत्म करना चाहिए। व्यास जी ने कहा कि मानव का सबसे बड़ा दुश्मन हमारे अंदर बैठा अहंकार है श्रीमद् भावगत कथा अपने मन में बँठा "मैं" और अहंकार को खत्म करने का उचित दर्शन है। कथा का श्रवण करने के लिए शहर के लोगों की भारी भीड़ उमड़ रहा है। वही कथा के चौथे दिवस महेंद्र नाथ तिवारी,राज कुमार सिंह, ब्रम्हा दीन पांडेय, अखिलेश दूबे ,संजय कुमार,राम मिलन शुक्ला, प्रदीप कुमार मिश्रा, श्रीमती नीलम, साधना,सीता सिंह,खेम चन्द यादव सहित सैकड़ों श्रोता गण मौजूद रहे।

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