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एक ही गांव के दो मेधावियों का पीसीएस में हुआ चयन

दोनों बने नायब तहसीलदार, परिजनों में खुशी लहर

एस के शुक्ला 

प्रतापगढ़।जिले रानीगंज विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में दो मेधावी युवकों का पीसीएस में चयन होने पर परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। पहली ही कोशिश  में पीसीएस की परीक्षा में सफलता मिलने से परिजन गदगद है। वहीं परिणाम जानने के बाद शुभचिंतकों और रिश्तेदारों ने बधाई दी। रानीगंज विधानसभा के मीरपुर ग्राम पंचायत निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह रानीगंज तहसील में वकालत करते है। शिवेंद्र सिंह के चार बेटे है। बड़ा बेटा देवेंद्र सिंह उनके साथ ही वकालत के पेशे में है। दूसरे नम्बर का बेटा उपेन्द्र सिंह सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमाडेंट है। तीसरे नम्बर का बेटा विकास बंगलूरू में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। सबसे छोटे बेटे विंदुनंदन सिंह विवेक ने पीसीएस 2019 में सफलता हासिल करते हुए नायब तहसीलदार का पद हासिल किया। उनके ही परिवार के ही अनिल सिंह के बेटे अंकित सिंह ने भी इसी परीक्षा में नायब तहसीलदार के पद को पाया। अंकित के पिता सहित बाबा उदयराज सिंह और चाचा अधिवक्ता बबलू  सिंह इस सफलता से काफी खुश है। दोनों युवकों ने इलाहाबाद से ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली में तैयारी की थी। इस सफलता के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता देवेश प्रताप सिंह, पूर्व प्रधान संघ अध्यक्ष उपेन्द्र प्रताप सिंह, सुधीर श्रीवास्तव, अशोक कुमार मौर्य, आदि ने बधाई दी।


ऋचा का डिप्टी जेलर पद पर हुआ चयन 

यदि मन मे लगन हो कुछ बनने की तो मनुष्य क्या से क्या नही कर सकता । ऐसा ही अपनी मेहनत एवं लगन के बदौलत कुछ कर दिखाई है जनपद के लालगंज तहसील क्षेत्र के रघवापुर निवासी ललित ओझा की पुत्री ऋचा ओझा ने जिन्होंने अपने अथक परिश्रम और लगन के बदौलत मुकाम हासिल की है। बताया जाता है कि उन्होंने सरस्वती शिशु शिक्षा मंदिर सगरा सुंदरपुर से हाई स्कूल ,इंटर करने के बाद केएनआई सुल्तानपुर से गणित में स्नातक शिक्षा प्राप्त करके  बीएड किया । इस दौरान अपनी कड़ी मेहनत के बल पर प्राथमिक शिक्षा में सहायक शिक्षक का पद ग्रहण किया, किंतु  उनका मन प्रशासनिक अधिकारी बनने का करता रहा। उन्होंने अपने मुकाम को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और संघर्ष कर आखिरकार 2019 के पीसीएस के आए परीक्षा परिणाम में वह सफलता हासिल करते हुए डिप्टी जेलर के पद पर चयन हो गया। ऋचा ने बताया कि इस सफलता के पीछे उनके पिता अधिवक्ता ललित कुमार ओझा व परिवार के सदस्यों का बहुत ही सहयोग रहा। इन सबके उत्साह वर्धन के बदौलत ही यह मुकाम हासिल हुआ है।

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