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घाघरा की कटान से तटवर्ती ग्रामीणों में दहशत

बचाव के लिए उपलब्ध है सभी संसाधन ..एसडीओ

सुनील उपाध्याय

बस्ती । जनपद के दक्षिणांचल में स्थित घाघरा नदी प्रति वर्ष मानसून के मौसम में रौद्र रूप ले लेती है जलस्तर कम होने पर तटवर्ती गांव में कटान लग जाती है और दर्जनों मकान वा सैकड़ों बीघा जमीन नदी की धारा में समाहित हो जाती है यह स्थिति कमोबेश हर साल पैदा होती है सुरक्षा एवं बचाव के नाम पर प्रशासन द्वारा पीड़ितों को कहीं अन्यत्र बसा दिया जाता है और स्थिति सामान्य होने पर प्रभावित ग्रामीण अपने स्थान पर लौट जाते हैं वर्तमान में घाघरा नदी का जलस्तर कम होने के कारण तटवर्ती क्षेत्र के कई गांव में कटान लगी हुई है जिसमें भयभीत वहां के निवासी अपना अपना सामान समेट कर सुरक्षित स्थान पर जाने की तैयारी में जुट गए हैं वहीं प्रशासन द्वारा कटान से बचाव के लिए बोरी में मिट्टी डालकर कटान रोकने का प्रयास किया जा रहा है


घाघरा नदी के किनारे विक्रमजोत से धूसवा  तटबंध लगभग 7 किलोमीटर लंबा बना है किंतु नदी के उफान के आगे कई जगह बंधा टूट जाता है और कई दर्जन गांव के लोग बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं जिससे ना सिर्फ वहां के वासियों को प्रताड़ना झेलनी पड़ती है बल्कि हजारों एकड़ फसल नष्ट हो जाने के कारण भुखमरी के कगार का सामना करना पड़ता है। जिले के गौरा टकटकवा दलपतपुर पहाड़पुर तिवारीपुर चांदपुर भिऊरा विशुनदास पुर कटरिया सहित कई गांव में कटान की चपेट में है किंतु प्रशासन द्वारा इससे बचाव के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जा रहा है जिससे प्रभावित ग्रामीण भयभीत हैं और उन्हें प्रशासन के प्रति आक्रोश भी है



इस संदर्भ में पूछे जाने पर एसडीओ हरिश्चंद्र ने बताया की बाढ़ से निपटने के सारे संसाधन हम लोगों के पास उपलब्ध हैं जैसे मिट्टी से भरी बोरी  बोल्डर  व अन्य सामान काफी मात्रा में उपलब्ध है।

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